नई दिल्ली : भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पीएम मोदी के प्रयास अब रंग लाने लगे हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन सालों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) ने 50,000 करोड़ रुपए के स्तर को छुआ है. यह राशि इस वित्तीय वर्ष में डीबीटी के तहत भुगतान की गई सब्सिडी के बराबर है. इसका मतलब लगभग एक साल की सब्सिडी बचाने के बराबर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के अनुसार डीबीटी तंत्र के तहत 64 मंत्रालयों में 533 केंद्रीय योजनाओं को लाने का प्रस्ताव है जिससे अगले वित्तीय वर्ष में और बचत वृद्धि होगी.फिलहाल 17 मंत्रालयों में 84 योजनाएं डीबीटी के अधीन हैं. इस बारे में एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि हर बार केवल बड़े घोटालों और कई लाख करोड़ रुपयों के नुकसान के बारे में बोला जाता था .लेकिन अब कोई घोटाला नहीं है, इसके बजाय हमने लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे सब्सिडी राशि को जमा करने और धोखेबाज लाभार्थियों को नष्ट करने से लगभग 50 हजार करोड़ रुपए को बचाया है. लगभग 33 करोड़ लोगों को डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी अब उनके बैंक खातों में सीधे प्राप्त होती है. बता दें कि डीबीटी स्कीम 2013 में शुरू की गई थी. मोदी सरकार के तहत यह एक प्रमुख रास्ते पर चली गई जब नवंबर 2014 में एलपीजी सब्सिडी स्कीम (पहल) शुरु की गई थी. एक अधिकारी के अनुसार हमने डीबीटी के तहत 2014-15 में 15,192 करोड़ रुपए , 2015-16 में 20,951 करोड़ रुपए और 31 दिसंबर, 2016 तक 14,000 करोड़ रुपए बचाए हैं.अगले साल तक डीबीटी के तहत नई योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में शामिल होंगी. यह भी पढ़ें बजट पेश होने से पहले मप्र में 71 रुपए महंगा हुआ गैस सिलेंडर गैस एजेंसी का कर्मचारी कि गोली मारकर हत्या आरोपी फरार