26 दिसंबर 1919 को जन्म लेने वाले नौशाद अली बॉलीवुड के एक बेहतरीन संगीतकार थे. बॉलीवुड में उनका असामान्य योगदान भुलाया नहीं जा सकता. नौशाद ने काफी सालों तक हिंदी फिल्मों में बतौर म्यूज़िक डायरेक्टर अपना योगदान दिया. नौशाद को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का सबसे महान और सदाबहार म्युज़िक डायरेक्टर माना जाता है. क्लासिकल म्यूज़िक में बढ़ती रुची को देखते हुए नौशाद ने इसे बॉलीवुड में इस्तेमाल किया. क्लासिकल म्युज़िक को बॉलीवुड में इंट्रोड्यूज करवाने वाले नौशाद ही थे. क्लासिकल संगीत को अहम ऊचाइयों पर ले जाने में नौशाद का बहुत बड़ा योगदान था. नौशाद ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई मर्थोमा कॉलेज से पूरी की. नौशाद की अभी तक की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने फिल्म 'मुग़ल-ऐ-आज़म' में भी संगीत दिया था. नौशाद अली को पद्मभूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के साथ और भी कई अवॉर्ड्स से नवाज़ा जा चूका था. 05 मई साल 2006 को मुंबई में नौशाद ने अंतिम सांस ली थी. देश के महान संगीतकार को तहे दिल से श्रद्धांजलि. नौशाद अली की कुछ मशहूर शायरिया : 1. आबादियों में दश्त का मंज़र भी आएगा, गुज़रोगे शहर से तो मिरा घर भी आएगा. 2. इक बे-क़रार दिल से मुलाक़ात कीजिए, जब मिल गए हैं आप तो कुछ बात कीजिए. 3. करना है शाइरी अगर 'नौशाद', 'मीर' का कुल्लियात याद करो. बॉलीवुड और हॉलीवुड से जुडी चटपटी और मज़ेदार खबरे, फ़िल्मी स्टार की जिन्दगी से जुडी बातें, आपकी पसंदीदा सेलेब्रिटी की फ़ोटो, विडियो और खबरे पढ़े न्यूज़ ट्रैक पर बाहुबली की इस एक्ट्रेस ने अपने प्राइवेट पार्ट्स बन बनवाया टैटू फोटोशूट के लिए टॉपलेस हुई 'पवित्र रिश्ता' की ये बोल्ड एक्ट्रेस Filmfare Magazine के लिए हॉट हुई आलिया भट्ट