नई दिल्ली: मैसूर कोर्ट बम ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार (अक्टूबर 8, 2021) को तीन आरोपितों को दोषी करार दिया है। 2016 के मैसूर कोर्ट में हुए विस्फोट मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए तीनों आतंकी अल कायदा से ताल्लुक रखते हैं और ये सभी तमिलनाडु के रहने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट में जाँच एजेंसी के हवाले से इस संबंध में जानकारी दी गई है। बता दें कि वर्ष 2016 में कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी मैसूर में स्थानीय अदालत परिसर के पब्लिक टॉयलेट में जोरदार ब्लास्ट हुआ था। दोषियों, नैनार अब्बास अली उर्फ लाइब्रेरी अब्बास, एम सैमसन करीम राजा उर्फ करीम उर्फ अब्दुल करीम और दाऊद सुलेमान ने मैसूर के चामराजपुरम इलाके के जिला कोर्ट परिसर में सार्वजनिक शौचालय के भीतर बम रखा था। उस समय अदालत की कार्रवाई चल रही थी। धमाके के कारण कई लोगों को चोटें आईं थी। धमाके से खिड़की के शीशे टूट गए। शहर के सभी भीड़-भाड़ वाले इलाके में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई थी। इस ब्लास्ट से सुरक्षा एजेंसियों के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े हुए थे। क्योंकि, जिस समय अदालत परिसर में धमाका हुआ, उसी वक्त कांग्रेसी सीएम सिद्धरमैया के बेटे राकेश सिद्धरमैया की अंत्येष्टि हो रही थी और इस में शामिल होने राज्य के सभी VVIP मैसूर में मौजूद थे। इनमें पुलिस प्रमुख से लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायधीश तक शामिल थे। बताया जाता है कि कड़ी सुरक्षा के कारण आतंकियों को उस जगह पर धमाका करने का मौका नहीं मिल पाया था और ऐसे में विस्फोटक को अदालत परिसर में फेंक दिया गया। मामला मूल रूप से 1 अगस्त 2016 को मैसूर शहर के लक्ष्मीपुरम पुलिस थाने में दर्ज किया गया था। बाद में गृह मंत्रालय के आदेश पर NIA ने फिर से केस दर्ज किया और जाँच को अपने हाथ में ले ली। NIA की जाँच से पता चला है कि मैसूर अदालत में बम धमाके बेस मूवमेंट के सदस्यों द्वारा किए गए पाँच बम विस्फोटों की श्रृंखला में से एक था, जो आतंकी समूह अल-कायदा से जुड़ा एक संगठन है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने पीएचसी के उन्नयन के लिए अतिरिक्त केंद्रीय धन की मांग की खुशखबरी! रसोई गैस के पेमेंट पर मिल रहा है 10 हजार रुपये तक का सोना क्या आपका भी है SBI में अकाउंट तो जल्द निपटा ले अपना काम? अगले 3 दिन तक बंद रहेगी ये सर्विस