नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस वे को 2500 करोड़ रुपये में दूसरी कंपनी को सौंपने की जेपी ग्रुप की अर्जी को खारिज करते हुए 5 नवंबर तक 2000 करोड़ रुपये जमा करने का फरमान सुना दिया. इससे पहले कोर्ट ने 27 अक्टूबर तक यह राशि जमा कराने को कहा था. उल्लेखनीय है कि जेपी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी अर्जी में कहा था कि वह यमुना एक्सप्रेसवे की संपत्ति दूसरे डेवलपर को बेचना चाहता है, जिसने इसके लिए उसे 2500 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है.लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जेपी ग्रुप की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि वह 5 नवंबर तक 2000 करोड़ रुपये जमा करे. बता दें कि जेपी ग्रुप की ओर से कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने पैरवी कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जेपी ग्रुप यमुना एक्सप्रेस वे को किसी दूसरी कंपनी को 2500 करोड़ रुपये में सौंपना चाहता है, ताकि वह निवेशकों के वापस करने के लिए दो हजार करोड़ रुपये दे सके.लेकिन अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इस तरह एक्सप्रेस वे किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसमें यमुना एक्सप्रेव वे अथॉरिटी और यूपी सरकार भी स्टेक होल्डर है.कोर्ट ने सरकार की दलील को मानते हुए जेपी ग्रुप की अर्जी ख़ारिज कर दी. यह भी देखें संपत्ति बाजार में सुस्ती से घरों की बिक्री घटी विजया बैंक का लाभ 20 प्रतिशत बढ़ा