प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गोरक्षा को हिन्दुओं का मूलभूत अधिकार घोषित किया जाना चाहिए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि किसी देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट पहुँचती है, तो वो राष्ट्र कमजोर हो जाता है। इसके साथ ही अदालत ने जावेद नाम के व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर गोहत्या का इल्जाम था। न्यायमूर्ति शेखर यादव की बेंच ने ये फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने पाया कि जावेद ने न केवल गाय को चुराया, बल्कि गला काट के उसकी हत्या भी कर दी और गोमांस का भी उपयोग किया। कोर्ट ने कहा कि केवल बीफ खाने वालों को ही मूलभूत अधिकार नहीं मिले हुए हैं, बल्कि गाय की पूजा करने वालों और जिनकी जीविका गाय पर ही आधारित है, उन्हें भी एक सार्थक/अर्थपूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जीवन का अधिकार सबसे ऊपर है और किसी के क़त्ल के अधिकार और बीफ खाने के अधिकार को इससे ऊपर नहीं रखा जा सकता। हाई कोर्ट ने आगे कहा कि गाय जब बूढ़ी और बीमार हो जाती है, तब भी बेहद उपयोगी होती है। साथ ही बताया कि कैसे गाय के गोबर का खाद बनाने में और गोमूत्र का दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि गाय बूढ़ी हो या बीमार, उसकी पूजा माँ के रूप में होती है। अदालत ने कहा कि, 'केवल हिन्दू ही नहीं, कई मुस्लिमों ने भी अपने शासनकाल में गाय को अपने जीवन का अहम हिस्सा माना है। बाबर, हुमायूँ और अकबर ने इस्लामी त्योहारों में गोहत्या पर प्रतिबन्ध लगाया। 5 मुस्लिम शासकों ने गोहत्या प्रतिबंधित की थी। मैसूर के नवाब हैदर अली ने गौहत्या को दंडनीय अपराध घोषित किया था। गाय की अहमियत और लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत तक ने कई फैसले दिए हैं।' 10वीं फेल भारतीय क्रिकेट टीम का वो मशहूर खिलाड़ी जिसने चटाई थी रिकी पॉन्टिंग को धुल औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में हुई वृद्धि उपराष्ट्रपति ने कहा- "खादी को राष्ट्रीय ताने-बाने के रूप में मानें और इसके उपयोग को..."