मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल ही में केंद्र से अपनी एक मांग की है। जी दरअसल उद्धव ठाकरे का कहना है कि 'महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहा सीमा विवाद हल होने तक विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए।' वैसे आप सभी जानते ही होंगे कि दोनों राज्यों के बीच यह मामला इस समय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। जी दरअसल हाल ही में मुंबई के सह्याद्रि गेस्टहाउस में डॉ. दीपक पवार द्वारा मराठी में लिखी गई पुस्तक ‘महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमावादः संघर्ष आणि संकल्प’ का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लोकार्पण किया। इसी दौरान उन्होंने कहा कि, 'अब तक जो हुआ, सो हुआ। अब हमें जीतने के लिए लड़ना होगा। हमें समयबद्ध कार्यक्रम के अनुसार काम करना होगा। सीमा विवाद का मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। लेकिन कर्नाटक सरकार जिस तरह का व्यवहार कर रही है, उससे कोर्ट की अवमानना होती है। उन्होंने बेलगाम का नाम बदलकर बेलागावी कर दिया। उन्होंने यहां राज्य की दूसरी राजधानी बना ली। वहां विधानसभा बनाकर अधिवेशन भी बुला लिया।' इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, 'जब दो राज्यों के बीच विवाद हो, और मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हो तो केंद्र को निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने तक दोनों राज्यों की सीमा पर बसे मराठी भाषी क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए। हमें मिलकर प्रयास करना होगा, ताकि मराठी भाषी क्षेत्रों को महाराष्ट्र में लाया जा सके। हमें जीत मिलने तक लड़ना होगा। यदि इस मामले का हल इस सरकार के रहते नहीं निकला, तो कभी नहीं निकलेगा। कर्नाटक में सरकार किसी भी पार्टी की आए, सीमा पर बसे मराठीभाषी लोगों के साथ दुर्व्यवहार नहीं रुकता।' वैसे हम आप सभी को यह भी बता दें कि इस पुस्तक के लोकार्पण समारोह में लगभग सभी दलों के नेता शामिल हुए। वहीं अब उद्धव ठाकरे की मांग के जवाब में कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा है, 'मुंबई को कर्नाटक का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। केंद्र से आग्रह करता हूं कि विवाद हल होने तक मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए।' भिवंडी के एक गोदाम में लगी भीषण आग, अग्निशमन अभियान जारी आज है पूर्णिमा तिथि, यहाँ जानिए शुभ-अशुभ मुहूर्त वीएम सिंह पर टिकैत का प्रहार, कहा- उन्हें संपत्ति सीज़ होने का डर, इसलिए छोड़ा आंदोलन