विटामिन डी की कमी हाल के वर्षों में बहुत तेजी से बढ़ती हुई परेशानी हैं. भारत जैसे देश में भी विटामिन डी की कमी के मामले बढ़ रहे हैं. ये दिक्कत प्रेगनेंसी में अधिक आती है और उन्हें इस बात का खास ध्यान देना पड़ता है. शरीर में जब किसी विटामिन की कमी होती है तो उसके कई तरह के साइड इफेक्ट्स होते हैं. प्रेगनेंसी में विटामिन डी की कमी मां के साथ होने वाले बच्चे के स्वास्थ पर भी असर डालती है. गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी की कमी होने पर बच्चों में जन्मजात और वयस्क होने पर मोटापा बढ़ने की अधिक संभावना रहती है. एक शोध में यह पता चला है. ऐसी मां की कोख से जन्म लेने वाले बच्चे, जिनमें विटामिन-डी का स्तर बहुत कम है, उनकी कमर चौड़ी होने या 6 वर्ष की आयु में मोटा होने की संभावना अधिक होती है. विटामिन डी की कमी का बच्चे पर प्रभाव इन बच्चों में शुरुआती दौर में पर्याप्त विटामिन-डी लेने वाली मां के बच्चों की तुलना में 2% अधिक वसा होती है. अमेरिका में दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर वइया लिदा चाटझी ने कहा, “ये बढ़ोतरी बहुत ज्यादा नहीं दिखती, लेकिन हम वयस्कों के बारे में बात नहीं कर रहे, जिनके शरीर में 30 प्रतिशत वसा होती है.” कैंसर और हृदय रोग का खतरा विटामिन-डी की कमी को ‘सनशाइन विटामिन’ के रूप में भी जाना जाता है. इसे हृदय रोग, कैंसर, मल्टीपल स्केलेरोसिस और टाइप 1 मधुमेह के खतरे से जोड़ा जाता है. चाटझी ने कहा कि आपके शरीर में उत्पादित विटामिन-डी का लगभग 95 प्रतिशत धूप से आता है. शेष पांच प्रतिशत अंडे, वसा वाली मछली, फिश लिवर ऑयल, दूध, पनीर, दही और अनाज जैसे खाद्य पदार्थो से मिलता है. बार-बार होता है ज़ुखाम तो 4 फूड्स देंगे राहत बिमारियों से बचाने में मदद करती Salt Therapy, जानें क्या है ब्रेस्‍टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है 'गोमुखासन'