नई दिल्ली : चुनाव प्रचार अभियान में कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही है। सातों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की अधिकारिक घोषणा नहीं होने से पार्टी का चुनावी कैंपेन ठहर गया है। ना तो संभावित प्रत्याशी और ना ही कार्यकर्ता उत्साहित हो पा रहे हैं। उधर, गठबंधन पर भी औपचारिक पूर्ण विराम नहीं लगने से भी पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार नहीं हो पा रहा है। यही नहीं कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी ने भी चुनावी प्रचार में बाधा बन रही है। सीएम रघुवर दास ने कुछ इस तरह दिया कार्यकर्ताओं को जीत का गणित फिलहाल ऐसी है स्तिथि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी के रणनीतिकार भी चुप्पी साधे हुए हैं। दरअसल प्रदेश कांग्रेस को पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के हरी झंडी का इंतजार है। दिल्ली में दोनों विपक्षी पार्टियों के संभावित व घोषित प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय दिखाई पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरफ से अन्य राजनीतिक पार्टियों को कटघरे में नहीं खड़ा किया जा रहा है। विकास कार्य कराने के लिए मेनका गांधी ने तैयार किया ऐसा मापदंड जल्द हो सकती है घोषणा जानकारी के मुताबिक कार्यकर्ता मान रहे है जब तक कांग्रेस पार्टी के आलाकमान मंच पर आकर यह नहीं कह देते है कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं होगा और आप कांग्रेस के सातों प्रत्याशियों को चुनाव जीताने में जुट जाए तब तक यह संभव नहीं है। यह सवाल उनके सामने बना रहेगा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा करना है कि भाजपा को। फारूक अब्दुल्ला ने पीएम मोदी और अमित शाह को बताया जनता का सबसे बड़ा दुश्मन शरद पवार के इस बयान को सीएम फडणवीस ने बताया अनुचित इस्तीफा देने के लिए राजभर ने मांगा सीएम योगी से समय