नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के अस्पताल फिर से भराने लगे हैं, हालाँकि इस बार कारण कोरोना नहीं, बल्कि डेंगू है. दिल्ली-NCR में डेंगू के बढ़ते केस सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए सिरदर्द बन गए हैं. मरीजों को अस्पतालों में जल्दी बेड नहीं मिल रहे हैं. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मरीजों और उनके परिवारों को मजबूरन वार्डों के फर्श पर बैठना पड़ रहा है. डॉक्टर भी फर्श पर डेंगू के मरीजों का उपचार करते दिखाई दे रहे हैं. कई के पास बिस्तर नहीं है, जिनका उपचार दूसरे मरीजों के साथ करने पर डॉक्टर भी विवश हैं. इमरजेंसी काउंटर पर दाखिले के लिए लंबी-लंबी कतारें दिखाई देने लगी हैं. कई अस्पतालों में स्थिति ऐसी हैं कि बेड्स मिलने की कोई गारंटी नहीं है. अस्पताल के एक कर्मचारी ने मीडिया को बताया है कि सिर्फ उन्हीं मरीजों को प्रवेश दिया जाता है, जो खून बहते पाए जाते हैं या उनके प्लेटलेट्स 30,000 तक गिर जाते हैं. दिल्ली के स्वामी दयानंद अस्पताल में एडमिट 220 मरीजों में से 54 डेंगू के मरीज थे. अस्पताल प्रशासन ने उन्हें समायोजित करने के लिए आपातकालीन सर्जरी रोक दी है. नोएडा के कैलाश अस्पताल ने एक कॉन्फ्रेंस हॉल को एक अस्थायी व्यवस्था में तब्दील कर दिया है, क्योंकि अस्पताल में डेंगू के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है. साकेत के मैक्स अस्पताल में 65 वर्षीय मीनू गुप्ता की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें यूरिन इंफेक्शन की सर्जरी के लिए बेड मिल गया. उन्होंने बताया कि मैं जब यहां आई तो मुझे विश्वास नहीं था कि मुझे बेड मिलेगा. उस वक़्त, पिछले हफ्ते अधिकांश मरीजों को डेंगू के लिए भर्ती कराया गया था और बिस्तर भरे हुए थे. चूंकि मेरा पहले का सारा उपचार यहीं हुआ था, और मेरे मेडिकल केस का इतिहास भी यहीं का था, इसलिए मुझे दूसरे वार्ड में एक बिस्तर का प्रबंध कर दिया गया. राजनाथ सिंह ने लोक सेवा में 20 साल पूरे करने पर पीएम मोदी को दी बधाई जानिए आज घटे या बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम 1,159 अंक टूटा सेंसेक्स, निफ्टी में भी आई भारी गिरावट