नई दिल्ली: मॉनसून की बारिश ने जहां लोगों के चेहरों पर खुशी ला दी है, तो वहीं कई इलाकों में यही बारिश मुसीबत बनकर भी बरसी। देश की राजधानी दिल्ली और उससे सटे गुरुग्राम का भी हाल-बेहाल है। दिल्ली और गुरुग्राम में जलभराव से ऐसी स्थिति देखने को मिली कि लोग हैरान और परेशान दिखाई दिए। वहीं, खुद सीएम अरविंद केजरीवाल भी बेबस दिखे, उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि, दिल्ली इतनी बारिश झेल ही नहीं सकती, क्योंकि दिल्ली का सिस्टम ही इस तरह से डिज़ाइन नहीं किया गया है। यानी एक तरह से देखा जाए तो 9 वर्षों से दिल्ली पर शासन कर रहे मुख्यमंत्री ने बारिश और जलभराव के आगे हाथ खड़े कर दिए। वहीं, साइबर सिटी गुरुग्राम में भी हालत बदतर हो गए हैं। सुनियोजित तरीके से बनाया गया गुरुग्राम शहर अपने दावों के विपरीत जाता नज़र आ रहा है। हालांकि, अदिल्ली-गुरुग्राम के मुकाबले नोएडा और ग्रेटर नोएडा की स्थिति काफी बेहतर है। जहां हर मॉनसून में दिल्ली-गुरुग्राम पानी में डूब जाता है, तो वहीं उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले नोएडा-ग्रेटर नोएडा को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण। दरअसल, जलभराव का सबसे बड़ा कारण इन दोनों शहरों में नालों की तादाद का अंतर है। जहां नोएडा में 30 लाख आबादी के बीच 87 किलोमीटर लंबे बड़े नाले हैं, तो वहीं गुरुग्राम इतनी ही जनसंख्या 40 किलोमीटर से कम लंबे नाले पर निर्भर है। इसके अलावा, नोएडा में जमीन या घर व्यक्तियों या बिल्डरों को बेचने के लिए पहले कुछ मानदंडों का पालन करना अनिवार्य है। जिसमें सड़क, बिजली और सीवर की व्यवस्था आवश्यक है। इन तीन बुनियादी सुविधाओं के बाद ही भूमि को आवासीय या व्यावसायिक प्रयोजन के लिए बेचा जा सकता है। नोएडा की प्लानिंग गुरुग्राम से बहुत बेहतर है, जिसके परिणामस्वरूप शहर में जलजमाव तुलनात्मक रूप से कम होता है। आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अर्चित प्रताप सिंह बताते हैं कि, 'नोएडा की प्लानिंग गुरुग्राम से काफी बेहतर है। गुरुग्राम के विपरीत, प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित नोएडा की भूमि को पहले बिजली, सड़क और सीवर जैसी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त होती हैं, उसके बाद ही यह आवासीय या वाणिज्यिक बिक्री के लिए आगे बढ़ती है। वहीं, शहरभर में 87 किलोमीटर से ज्यादा का जल निकासी नेटवर्क अच्छी तरह काम करता है और अत्यधिक वर्षा के दौरान पूरा पानी हिंडन या यमुना नदी में बह जाता है।' अर्चित कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि, नोएडा में जलभराव होता ही नहीं, मगर जल निकासी की बेहतर व्यवस्था के कारण ये जल्दी ही साफ हो जाता है। वहीं, गुरुग्राम की बात करें तो यहां जल निकासी के लिए मुख्य 3 नाले हैं। एंबिएंस मॉल के साथ एक नाला सीधे नजफगढ़ नाले में जाता है और दूसरा, DLF 1, 2 और 3, सुशांत लोक-1, एमजी रोड से पानी लाता है और तीसरा आसपास के अन्य इलाके इफ्को चौक से होते हुए नजफगढ़ नाले में लाता है। आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अर्चित प्रताप सिंह बताते हैं कि नजफगढ़ ड्रेन शहर के 60 फीसद से ज्यादा जल निकासी का बोझ उठाती है। यह ड्रेन महज 27 किमी लंबी है और अभी भी इसका निर्माण कार्य चल ही रहा है। इससे सिस्टम में जटिलताएं होती हैं और शहर में काफी जलभराव होता है। कश्मीर से क्यों हटाई 370 ? सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दाखिल किया अपना जवाब शिक्षक भर्ती घोटाले में CM ममता के भतीजे अभिषेक से पूछताछ करेगी ED, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी कांग्रेस नेता की दलीलें बंगाल चुनाव में हुए 'खूनी खेल' को लेकर हाई कोर्ट सख्त, ममता सरकार और BSF से मांगी डिटेल रिपोर्ट