नई दिल्ली : कोरोना महामारी के चलते विभिन्न राज्यों की सरकारों ने जेल में बंद कैदियों को अस्थायी तौर पर पैरोल और फर्लो देकर रिहा करने का फैसला लिया था। ऐसे में लॉकडाउन के बीच पैरोल पर इन कैदियों पर नजर रखने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्हाट्सऐप और गूगल मैप्स का सहारा लेने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंबानी की बेंच ने तीन विभिन्न आदेशों में तीन मुजरिमों के जेल टर्म को अस्थायी तौर पर निरस्त करने का फैसला किया। जज ने कहा कि मुजरिम- ओमपाल, राहत और बाबूलाल को पैरोल दी जा रही है उनको प्रति सप्ताह जांचकर्ता अफसर को वीडियो कॉल करनी होगी और अपनी लाइव लोकेशन भी व्हाट्सऐप पर साझा करनी होगी ताकि पुलिस को पता रहे कि मुजरिम कहां पर हैं और कैदियों को भी प्रति सप्ताह पुलिस स्टेशन न जाना पड़े। जज ने कहा कि कैदी प्रत्येक शुक्रवार को सुबह 11 से 11:30 के बीच इन्वेस्टिगेंटिंग ऑफिसर (IO) को कॉल करेंगे और अगर IO मौजूद नहीं है, तो वे उस पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) को फोन करेंगे, जहां उनके खिलाफ केस दर्ज है से वीडियो कॉल के माध्यम से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कैदी गूगल मैप्स पर अपनी लोकेशन भी भेजेंगे, ताकि पुलिस उनकी उपस्थिति को कंफर्म कर पाए। आपको बता दें कि कैदी ओमपाल पर एटीएम में पैसे भरने वाली गाड़ी के ड्राइवर के तौर पर साथियों को नशीला पदार्थ खिलाकर 51 लाख रुपए लूटने का इल्जाम है और इस अपराध के लिए उसे 8 वर्ष की जेल की सजा हुई थी। भाजपा पर हमलावर हुईं सोनिया, कहा- कोरोना संकट के समय फैला रहे नफरत का वायरस कोरोना पर मोदी सरकार के सवाल, ममता ने जवाब देने के लिए PK को बुलाया सचिन से नहीं की जा सकती किसी भी खिलाड़ी की तुलना: युसूफ पठान