नई दिल्ली: बीते दिनों नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर देश की राजधानी दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा में घायलों को दिल्ली सरकार की तरफ से दिए जाने वाले मुआवजे के मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दखल देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से दिया जा रहा मुआवजे का मामला नीतिगत फैसले से जुड़ा हुआ है, ऐसे मामले में अदालत फिलहाल किसी तरह के हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं समझता. दिल्ली सरकार की तरफ से हिंसा में घायलों को दिए जाने वाले मुआवजे पर दायर याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार किस प्रक्रिया के तहत मुआवजा घायलों को दे रही है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि हिंसा में पुलिस को चोट पहुंचाने वाले आरोपी और पीड़ित दोनों लोग सरकार के मुआवजे का लाभ उठाएंगे. ऐसे में दिल्ली सरकार कर आरोपी और पीड़ित की शिनाख्त करने की क्या प्रक्रिया है. भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग ने दिल्ली हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की थी. दिल्ली की आप सरकार ने हिंसा में पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा देने की घोषणा की थी. मुआवजे के लिए दिल्ली सरकार ने देश के कई मुख्य अखबारों में एक फॉर्म प्रकाशित किया जिसे भरकर सरकार से सहायता का दावा किया जा सकता है. दिल्ली सरकार के ऐलान के अनुसार, व्यस्क मृतकों के परिजनों को 10 लाख की सहायता दी जाएगी. इसमें से एक लाख रुपये तत्काल दिए जाएंगे और 9 लाख रुपये की राशि कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद दी जाएगी. कोरोना से जंग शुरू, वर्ल्ड बैंक ने किया 12 अरब डॉलर के पैकेज का ऐलान CAA : उपद्रवियों पर सरकार ने कसा शिंकजा, हुड़दंग पर भरना पड़ेगे लाखों रुपये कोरोना : भारत के इस राज्य में मिला पहला संदिग्ध मामला, सरकार ने अलर्ट किया जारी