नई दिल्ली: सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के अन्य सदस्यों, आतिशी, सुशील कुमार गुप्ता और मनोज कुमार के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया। मानहानि का मामला मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कथित रूप से हटाए जाने के बारे में उनकी टिप्पणियों से संबंधित है। अदालत ने पाया कि आप नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियां "प्रथम दृष्टया अपमानजनक" थीं, जिससे पता चलता है कि उनके बयानों का उद्देश्य मतदाताओं के नाम हटाने में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संलिप्तता का आरोप लगाकर उसे बदनाम करना था। मामले की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने आप नेताओं के इस बचाव को खारिज कर दिया कि उनके बयान "सार्वजनिक हित" के लिए "सद्भावना" में दिए गए थे, और जोर देकर कहा कि इस बचाव को अदालत में साबित किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यह टिप्पणी "राजनीतिक लाभ" हासिल करने के लिए की गई थी और मानहानि के आरोप में केजरीवाल और अन्य आप नेताओं को तलब करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। न्यायालय ने कार्यवाही पर लगाई गई अंतरिम रोक भी हटा दी और सभी पक्षों को 3 अक्टूबर को ट्रायल कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। मानहानि का यह मामला 2018 में केजरीवाल और आतिशी सहित आप नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों से उपजा है, जिसमें भाजपा पर मतदाता सूची से 30 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाने का आरोप लगाया गया था, जिसमें विशेष रूप से विशिष्ट समुदायों के मतदाताओं को निशाना बनाया गया था। भाजपा नेता राजीव बब्बर ने शिकायत दर्ज कराते हुए दावा किया था कि इन आरोपों का उद्देश्य भाजपा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना था। तेज रफ़्तार से दौड़ाई कार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का कटा चालान 'कांग्रेस में कास्टिंग काउच..', महिला नेता के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री ने राहुल-प्रियंका को घेरा 'ये काफिरों को मारना सिखाती है..', मुस्लिम युवक ने जलाई कुरान, हुआ गिरफ्तार, Video