48 साल पुरानी ड्रेनेज व्यवस्था पर ही चल रही दिल्ली, केजरीवाल सरकार में कागज़ों पर ही घूम रहा नया मास्टर प्लान !

नई दिल्ली: दिल्ली में मानसून की शुरुआत से पहले मेयर और AAP नेता शैली ओबेरॉय ने निवासियों को आश्वासन दिया था कि वे इस साल बारिश का आनंद लेंगे। हालांकि, उनके दावे 29 जून को हवा हवाई हो गए, जब रिकॉर्ड तोड़ बारिश के कारण कई इलाकों में भीषण जलभराव हो गया। राजेंद्र नगर की स्थिति ने शहर की जल निकासी व्यवस्था को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। हैरानी की बात यह है कि दिल्ली अभी भी 1976 में बनी जल निकासी व्यवस्था पर निर्भर है, जिसे सिर्फ 60 लाख की आबादी के लिए डिजाइन किया गया था, जबकि मौजूदा आबादी ढाई करोड़ से अधिक है। 

हालांकि इस मुद्दे को हल करने के लिए 13 साल पहले एक पहल शुरू की गई थी, लेकिन जल निकासी मास्टर प्लान लागू नहीं हुआ और कागजों पर ही अटका हुआ है। जल निकासी मास्टर प्लान विकसित करने का प्रयास 2011 में शुरू हुआ, जिसमें IIT दिल्ली ने एक रिपोर्ट तैयार की। उस समय कांग्रेस नेत्री शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम थी। जुलाई 2018 तक, IIT दिल्ली ने केजरीवाल सरकार को एक विस्तृत मास्टर प्लान सौंपा और अगस्त 2018 में, सरकार ने इसे लागू करने की अपनी मंशा की घोषणा की। हालांकि, आज 6 साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस साल 29 जून को AAP सरकार ने कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी किया, जिससे उम्मीद जगी कि अगले साल काम शुरू हो सकता है, लेकिन इसका भी पक्का नहीं है।

फिलहाल, दिल्ली की जल निकासी व्यवस्था अपनी क्षमता से पांच गुना ज़्यादा आबादी से भरी हुई है। पिछले साल राजधानी में आई बाढ़ की वजह मुख्य रूप से अपर्याप्त जल निकासी व्यवस्था थी और इस साल 28 जून को हुई पहली बारिश के कारण कई इलाकों में जलभराव हो गया। दिल्ली की जल निकासी व्यवस्था तीन हिस्सों में बंटी हुई है, जिसमें 200 से ज़्यादा नाले हैं, जिनमें नजफ़गढ़ नाले में 123, बारापुला में 44 और ट्रांस यमुना बेसिन में 34 नाले शामिल हैं। ये नाले कुल 3,692 किलोमीटर की लंबाई में फैले हुए हैं।

जल निकासी मास्टर प्लान टाइमलाइन:-

2011, सितंबर: दिल्ली सरकार ने जलभराव से निपटने के लिए मास्टर ड्रेनेज प्लान बनाने के लिए आईआईटी दिल्ली को अनुबंधित किया।

2018, जुलाई: आईआईटी दिल्ली ने अंतिम रिपोर्ट पेश की।

2018, अगस्त: सीएम अरविंद केजरीवाल ने सभी सरकारी विभागों को योजना को लागू करने का निर्देश दिया।

2019, मई: तकनीकी विशेषज्ञ समिति की पहली बैठक में दिए गए विवरण अपर्याप्त पाए गए।

5 अगस्त 2021: तकनीकी विशेषज्ञ समिति ने योजना को उपयोगी न मानते हुए खारिज कर दिया।

24 अगस्त 2021: सीएम केजरीवाल ने योजना की प्रगति की समीक्षा की।

29 जून 2024: लोक निर्माण विभाग ने गृह मंत्रालय के साथ बैठक में घोषणा की कि मास्टर ड्रेनेज प्लान मार्च 2025 तक लागू किया जाएगा।

नई योजना के लिए सिफारिशें:

जनसंख्या के हिसाब से ड्रेन की क्षमता बढ़ाई जाए। ठोस कचरे और निर्माण मलबे को नालों में जाने से रोका जाए। नालों की प्रभावी सफाई सुनिश्चित की जाए। बारिश के पानी को सीवर में जाने से रोका जाए। बाढ़ की निगरानी के लिए सेंसर का इस्तेमाल प्रबंधन में सुधार के लिए किया जाए।

बता दें कि केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद से ड्रेनेज मास्टर प्लान पर कोई खास काम नहीं हुआ है, जिससे यह महज कागजी योजना बनकर रह गई है। इस कारण हर साल बारिश के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद दिल्ली की हालत बेहद खराब हो जाती है।

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