नई दिल्ली: भले ही दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार 2013 में सत्ता में आने के समय से ही यमुना को साफ़ करने का दावा कर रही हो, लेकिन इसके 9 वर्ष बाद आज 2022 में भी यमुना की हालत किसी गंदे नाले जैसी है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, यमुना के पानी में स्वीकृति सीमा से सात लाख गुना अधिक फेकल कोलीफार्म यानी मल में पाया जाने वाला बैक्टीरिया मौजूद है। दिल्ली में प्रवेश करते वक़्त यमुना का पानी कुछ हद तक साफ रहता है। पल्ला क्षेत्र में पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर स्वीकृत सीमा के भीतर है, किन्तु इसके बाद से ही यमुना में प्रदूषण का लेवल निरंतर बढ़ता जाता है। DPCC द्वारा वर्ष 2021 जून में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, ओखला बैराज पर यमुना के पानी में फेकल कोलीफार्म की मात्रा स्वीकृत सीमा से सात लाख गुना अधिक है। सामान्य तौर पर अगर पानी में फेकल कोलीफार्म प्रति 100 मिलिलीटर में 500 तक होता है, लेकिन 100 मिलीलीटर में फेकल कोलीफार्म की अधिकतम सीमा 2500 है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में किसी भी जगह पर फेकल कोलीफार्म की मात्रा निर्धारित सीमा से कई गुना अधिक है। ओखला बैराज पर इसका स्तर सबसे ज्यादा है। दिल्ली जैव विविधता कार्यक्रम के वैज्ञानिक प्रमुख डॉ. फैयाज ए खुदसर बताते हैं कि फेकल कोलीफार्म पानी की गुणवत्ता को काफी अधिक खराब कर देता है। हालाँकि, दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल वर्ष 2013 से ही लगातार यमुना साफ करने का वादा जोर-शोर से करते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि, यमुना का जल पीने के लिए तो क्या, नहाने के योग्य भी नहीं हो पाया है। इसकी तस्वीर हर बार उस समय देखने को मिलती है, जब महिलाएं छठ पूजा के लिए यमुना पहुँचती हैं। जम्मू कश्मीर: इस्लामी आतंकियों ने एक और हिन्दू को मार डाला, हमले में मृतक का भाई भी घायल FIFA ने भारत के फेडरेशन को किया निलंबित, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से की तत्काल सुनवाई की मांग बड़ा हादसा: ITBP जवानों से भरी बस गहरी खाई में गिरी, 39 सैनिक थे सवार..