कोरोना ने छीना यौनकर्मियों का निवाला, ना पास में पैसा, ना अन्न का दाना

नई दिल्ली: ‘हमारी जिंदगी पहले ही किसी नरक से कम नहीं थी और कोरोना महामारी ने जैसे हमसे सब कुछ छीन लिया है। ना तो ग्राहक है और ना ही घर में राशन और ना ही हमारे स्वस्थ्य की सुध लेने वाला कोई है ’, यह कहना है दिल्ली के जी बी रोड रेड लाइट इलाके में रहने वाली एक Sex Worker का। 

पान की पीकों से बदरंग संकरी सीढ़ियों से चढ़कर दूसरे तीसरे माले पर बने अनगिनत छोटे-छोटे कमरों में पहुंचते ही इनकी दुर्दशा का अंदाज़ा लग जाता है। बीस बाय चालीस के कमरे में जहां आठ से दस लोग गुजारा करने को विवश हों, ऐसे में सामाजिक दूरी कायम रखना भी बेहद मुश्किल है। किसी के बच्चे छोटे हैं तो उनके दूध की व्यवस्था नहीं है, तो किसी के घर में स्टोव जलाने को घासलेट नहीं है। पति की मौत के बाद पश्चिम बंगाल से आई शालू का परिवार दार्जिलिंग में रहता है और उसकी थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी समाप्त हो चुकी है।

उसने मीडिया एजेंसी ‘भाषा’ से कहा कि ,‘‘लॉकडाउन के पहले सप्ताह में तो कोई हमें पूछने भी नहीं आया। पास में थोड़ा बहुत पैसा था, वो भी धीरे धीरे खत्म हो गया। अब कोई एनजीओ या पुलिस खाना दे जाती है तो खा लेते हैं, मगर अक्सर वह खाना, खाने योग्य नहीं होता।’’ दरअसल, कोरोना फैलने के बाद से यहाँ ग्राहकों का आना भी बंद हो चूका है, जिसके बाद से इन यौनकर्मियों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के दिशा निर्देशों ने दिल्ली के तंग जी बी रोड इलाके में लगभग 90 से 100 कोठों में रहने वाली एक हजार से ज्यादा यौनकर्मियों को फांके काटने पर विवश कर दिया है।

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