नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में परिसीमन को लेकर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने इन राज्यों में परिसीमन की मांग करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया। केंद्र सरकार की ओर से एएसजी (अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल) ने अदालत को बताया कि मणिपुर की स्थिति फिलहाल अनुकूल नहीं है, जबकि अन्य तीन राज्यों में परिसीमन पर चर्चा चल रही है। एएसजी ने यह भी कहा कि अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय लोग परिसीमन के खिलाफ हैं, इसलिए सरकार किसी को परेशान नहीं करना चाहती। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि जब तक राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलती, तब तक परिसीमन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती। उन्होंने असम का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पिछले साल परिसीमन हुआ था, लेकिन बाकी तीन राज्यों में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में कहा गया है कि इन चार राज्यों में परिसीमन नहीं करना संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि पिछले दो दशकों में इन राज्यों में शांतिपूर्ण चुनाव हुए हैं और कानून-व्यवस्था कोई बड़ी समस्या नहीं रही है। हालांकि, याचिका दायर होने के समय मणिपुर में शांति थी, लेकिन हाल के महीनों में राज्य में कई हिंसक घटनाएं हुई हैं। इंफाल समेत अन्य इलाकों में तनाव जारी है, जो परिसीमन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया कि परिसीमन के लिए अलग आयोग का गठन न किया जाए। इसके बजाय चुनाव आयोग से ही यह प्रक्रिया पूरी कराई जानी चाहिए। एएसजी के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को जनवरी के तीसरे सप्ताह तक स्थगित कर दिया। याचिका में यह भी जोर दिया गया है कि इन राज्यों में परिसीमन जरूरी है ताकि समानता सुनिश्चित हो और राज्यों को बाकी भारत से अलग-थलग महसूस न हो। CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान, MP में टैक्स फ्री की ये फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के टैक्स फ्री होने पर भड़के दिग्विजय सिंह, बोले- 'जिन लोगों ने...' 'मोहब्बत की मिसाल थी मेरी दादी..', इंदिरा गांधी को राहुल-प्रियंका ने किया याद