नई दिल्ली : सरकार द्वारा 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट्स बंद करने के निर्णय को करीब पंद्रह दिन बीत चुके हैं लेकिन इसके बाद भी बैंक्स में ग्राहकों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। हालात ये हैं कि लोगों को लंबी कतारों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कुछ लोगों की मौत तक हो रही है। मिली जानकारी के अनुसार नोटबंदी के चलते हुई मौत का यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। हालात ये हैं कि एक 70 वर्षीय बुजुर्ग की मौत कतार में लगे रहने के दौरान हो गई। दरअसल सियाराम नामक बुजुर्ग कतार में खड़े थे अचानक उनका संतुलन बिगड़ गया और वे गिर गए। बुजुर्ग सियाराम को चिकित्सालय ले जाया गया लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। अब इस बुजुर्ग व्यक्ति का हाथरस निवासी पुत्र सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। सियाराम के बेटे ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है जिसमेें सरकार से मौत को लेकर सवाल किए गए है तो दूसरी ओर 50 लाख रूपए का मुआवजा देने की मांग की गई है। इस पुत्र कन्हैयालाल ने पिता सियाराम के निधन को लेकर कहा कि उनके पिता 1500 रूपए बदलने के लिए 15 नवंबर को लाईन में लगे थे इसके बाद वे 16 नवंबर को भी कतार में लगे थे। उनके नोट बदले नहीं गए। मगर जब वे 17 नवंबर को लाईन में लग गए तो फिर दोपहर 3.30 बजे अचानक उनका संतुलन बिगड़ गया और उनकी मौत हो गई। गौरतलब है कि हाथरस की जनसंख्या लगभग 5 लाख की है। मगर 5 लाख लोगों के लिए नोट बदलने का उपयुक्त प्रबंध नहीं किया गया है। सिर्फ बुजुर्गों के लिए आज खुलेंगे बैंक, अब... एटीएम में तोड़फोड़, बैंकों में हुजुम मेरा सारा पैसा बैंक में सुरक्षित चोरों ने बैंक से उड़ाये 10 लाख के नये नोट