वाराणसी: इस बार काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण के कारण देव दीपावली 7 नवंबर को ही मनाई जा रही है। जिसको लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस बार की देव दीपावली इसलिए भी विशेष होने वाली है, क्योंकि कोरोना के पश्चात् पूरी तरह से प्राप्त हुई छूट के साथ देव दीपावली मनाई जा रही है। वैसे कार्तिक मास की पूर्णिमा जैसे पावन पर्व की अहमियत को तो सभी सनातनी जानते हैं। किन्तु तीनों लोकों से न्यारी काशी में यह पर्व देवताओं की दीपावली के रूप में यानी देव दिवाली के नाम से मनाते चले आने की परंपरा बहुत पुरानी है। देवताओं के लिए केवल एक दीपक प्रजवल्लित कर देने भर जैसा त्यौहार काशी में एक लोकपर्व और लोक परंपरा का शक्ल ले चुका है। काशी के पंचगंगा घाट से 1985 से आरम्भ हुई यह प्रथा आज सभी जानते है तथा अब तो न सिर्फ तमाम समितियों के अतिरिक्त शासन-प्रशासन स्तर पर इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जाता है। वही इस बार 7 नवंबर की शाम होते ही काशी के सभी अर्धचंद्राकार 84 गंगा घाट एवं उसके पार भी 10 लाख दीपक सज जाएंगे। इस अलौकिक छटा के गवाह बनने न सिर्फ स्थानीय, बल्कि देश-दुनिया से लाखों के आँकड़े में सैलानी आएंगे। देव दिपावली को लेकर वाराणसी और विंध्याचल मंडल की उप निदेशक पर्यटन प्रीति श्रीवास्तव ने कहा कि दो सालों के अंतराल में बहुत कम आँकड़े में लोग बाहर निकल पाए थे। तो बड़े आँकड़े में पर्यटक वाराणसी आ रहें हैं तथा काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद एक बड़ा अवसर है। जिसको लेकर बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। गंगा घाटों पर 10 लाख दीपक प्रजवल्लित किए जाएंगे। कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे तथा पर्यटन विभाग की ओर से पहली बार काशी में 3D प्रोजेक्शन मैपिंग शो लाया गया है, जो चेतसिंह घाट पर होगा। इसमें गंगा अवतरण की कथा दिखाई जाएगी और लेजर शो भी शिव स्तुति के साथ होगा। इसके अतिरिक्त काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के गंगा द्वार के उस पार कोरियोग्राफ फायर क्रेकर शो ग्रीन पटाखों के माध्यम से होगा। भूकंप के झटकों से डोली उत्तराखंड की धरती, हुआ ये हाल एक बार फिर दिल्ली की हवाओं में बढ़ा प्रदूषण का स्तर 'पापा नी परी लग्न उत्सव' में शामिल होंगे PM मोदी