बेंगलुरु: जनता दल(एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा ने बसपा का दामन थाम लिया है और ऐसा शायद कर्नाटक की छह करोड़ से अधिक आबादी में 17 फीसद दलित मतों का होने के कारण हुआ है. कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 36 अनुसूचित जाति एवं 15 अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. देवेगौड़ा मायावती के सहारे दलित मतों में सेंध लगाकर जद(एस) को सरकार बनते समय वह किंगमेकर की भूमिका में देखना चाहते है. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति आने पर देवेगौड़ा पिता-पुत्र में कलह लाजमी है. क्योंकि देवेगौड़ा के पुत्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को बिलकुल भी पसंद नहीं करते है. सूबे में दलितों के बीच काम करने वाले करीब 1900 संगठन हैं. जिन राजनीतिक दलों की जमीनी पकड़ मजबूत होती है, वे इन बिखरे हुए राजनीतिक दलों तक अपनी पहुंच बनाकर इनसे जुड़े मतदाताओं तक आसानी से पहुंच जाते हैं. वर्तमान स्थिति में 'वन बूथ-25 यूथ' योजना के तहत भाजपा यह पहुंच मजबूत करने में लगी है. वहीं, कांग्रेस के वर्तमान मुख्यमंत्री एस. सिद्दरमैया भी अपने गैरराजनीतिक संगठन 'अहिंद' के जरिये दलितों को अपना बनाने में लगे हैं. दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने के लिए सिद्दरमैया ने यह गैरराजनीतिक संगठन करीब डेढ़ दशक पहले बनाया था. दलित फैक्टर भी कर्नाटक में उतना ही मजबूत के जितना की अन्य इस बात को बीजेपी, कांग्रेस सहित सभी दाल बखूबी समझते है. सिद्धारमैया ने खेला दांव, पीएम मोदी, अमित शाह और येदियुरप्पा को थमाया मानहानि का नोटिस राहुल का वार, बैलगाड़ी-साइकिल-मोबाइल सबसे प्रहार मोदी की असफलता से मनमोहन ने उठाया पर्दा, गिनाई बड़ी गलतियां