हिन्दू धर्म के अनुसार आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी आती है जो बेहद ही महत्व होता है. देवशयनी एकादशी को हिन्दू पंचांग में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इतना ही नहीं यह एकादशी मनुष्य को परलोक में मुक्ति को देने वाली मानी गई है. इस एकादशी चार माह तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होते जिसे चातुर्मास कहते हैं. इन चार महीने के लिए सभी काम रोक दिए जाते हैं और कार्तिक मास की देव उठनी एकादशी पर ये सारे शुभ काम शुरू कर दिए जाते हैं. इसी महीने में कुछ खास करने से भी रोक दिया जाता है. आज उसी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. चातुर्मास में करें खाने की इन चीज़ों का त्याग * कहा जाता है देव शयनी एकादशी के दिन अपने शरीर को शुद्ध रखने के लिए पंचगव्य का सेवन करना चाहिए. * एकादशी के दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. * इस एकादशी को शालिग्राम के साथ तुलसी का गठबंधन करें और हाथ में जल लेकर हथेली में जल लेकर 9 बार तुलसी की परिक्रमा करें. देवशयनी एकादशी : मंगल कार्यों पर लगने वाला है विराम * इस गाँठ को हमेशा अपने पास रखें जो आपके जीवन के लिए शुभ हो सकती है. * इन सब के साथ वशयनी एकादशी की कथा पढ़ने और सुने जिसके सुनने से आपक सभी पापों का नाश होता है और आपके जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं. अपने जीवन में खुशियां चाहते हैं तो देव शयनी एकादशी का व्रत विधि विधान से करें और भगवान कृष्णा की आराधना करें जिससे आपके सभी काम बनेंगे. साथ ही याद रखें देव विश्राम के बाद कोई भी शुभ काम ना करें जिससे आपको परेशानी का सामना करें. ये भी पढ़ें.. आषाढ़ माह में आने वाले हैं खास व्रत और त्यौहार