आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani ekadashi 2022) कहा जाता है। आप सभी को बता दें कि पूरे साल में 24 एकादशी आती हैं और इनमें देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। आप सभी को बता दें कि देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जी हाँ और ये एकादशी भगवान श्री नारायण को बेहद प्रिय होती है। कहा जाता है इस एकादशी (devshayani ekadashi 2022 vrat) के बाद शादी-विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्यों पर अगले चार मास के लिए विराम लग जाएगा। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा में चले जाते हैं और इसके बाद प्रभु श्रीहरि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी (devshayani ekadashi) को जागते हैं। केवल यही नहीं बल्कि इस अवधि को चतुर्मास भी कहा जाता है। वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, एक अन्य प्रसंग में एक बार 'योगनिद्रा' ने बड़ी कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया उनसे प्रार्थना की - 'भगवान आप मुझे अपने अंगों में स्थान दीजिए'। हालाँकि श्री हरि ने देखा कि उनका अपना शरीर तो लक्ष्मी के द्वारा अधिष्ठित है और इस तरह का विचार कर श्री विष्णु ने अपने नेत्रों में योगनिद्रा को स्थान दे दिया योगनिद्रा को आश्वासन देते हुए कहा कि तुम वर्ष में चार मास मेरे आश्रित रहोगी। अब हम आपको बताते हैं देवशयनी एकादशी की तिथि शुभ मुहूर्त (Devshayani ekadashi 2022 shubh muhurat) के बारे में बताते हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (devshayani ekadashi 2022 date) शनिवार, 9 जुलाई को शाम 4 बजकर 40 मिनट से लेकर अगले दिन यानी रविवार, 10 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के कारण देवशयनी एकादशी का व्रत 10 जुलाई को ही रखा जाएगा। इस मजार पर रूकती है जगन्नाथ रथयात्रा!, बड़ी अनोखी है इसकी कहानी भगवान शिव को भी माँ अन्नपूर्णा ने दिया था दान, जानिए रोचक कहानी आखिर क्यों पुरी का प्रसाद कहा जाता है 'महाप्रसाद', जानिए इसकी खासियत