धनतेरस के दिन क्यों करते हैं दीपदान, पढ़े पौराणिक कथा

धनतेरस का पर्व आज यानी 22 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। हर साल धनतेरस कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है और इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमराज की पूजा भी की जाती है। इसी के साथ ऐसी मान्यता है कि इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन यम देवता के लिए दीपदान करने का खास महत्व होता है। अब हम आपको बताते हैं क्यों करते हैं दीपदान?

क्यों करते हैं दीपदान- एक बार हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र का जन्म दिया, तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि जब इस बालक का विवाह होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी। यह जानकर राजा ने बालक को यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। एक बार जब महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी ​तो उस ब्रह्मचारी बालक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया।

लेकिन विवाह के चौथे दिन ही उस राजकुमार की मौत हो गई। पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलख कर रोने लगी और उस नवविवाहिता का विलाप देखकर यमदूतों का हृदय कांप उठा। तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि 'क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?' यमराज बोले- एक उपाय है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करना चाहिए। इसके बाद अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता। तभी से धनतेरस पर यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है।

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