भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हमीदिया अस्पताल से रेमडिसिविर चोरी होने के केस में रोज़ कुछ नई परतें खुल रही हैं। अब क्राइम ब्रांच की कार्रवाई में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि हो सकता है रेमडिसिविर इंजेक्शन चोरी हुए ही ना हों। जिसके अतिरिक्त क्राइम ब्रांच को इस बात का भी शक़ है कि हो सकता है रेमडिसिविर की हेराफेरी को छिपाने से चोरी की कहानी गढ़ी गयी हो। मीडिया से बात करते हुए क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी गोपाल धाकड़ ने कहा कि 'इस केस में अबतक तकरीबन 2 दर्जन लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। चौंकाने वाली बात यह है कि स्टोर रूम की जाली अंदर से कटी हुई मिली और स्टोर रूम के सभी ताले भी सही मिले, जैसे किसी ने चाबी से तालों को खोला और फिर उसे बंद किया जा चुका। जिसके अतिरिक्त जब हमने रिकॉर्ड चेक किया तो पाया कि रेमडिसिविर के आने और जाने का रिकॉर्ड ठीक से मेंटेन नहीं किया गया है और ना ही स्टाफ इसका ठीक से जवाब दे पा रहा है।' उन्होंने आगे कहा कि सबसे अधिक हैरानी इस बात की है कि जितने रेमडिसिविर इंजेक्शन चोरी होने की शिकायत दर्ज गई है वो संदिग्ध लग रहा है क्योंकि चोरी होने के उपरांत रेमडिसिविर का स्टॉक कम मिलना चाहिए था, लेकिन वहां स्टॉक अधिक है और कई इंजेक्शन स्टोर रूम में ही मिले हैं। एडिशनल एसपी गोपाल धाकड़ ने कहा कि 'इन्वेस्टिगेशन अभी जारी है इसलिए यह कहना मुश्किल है कि अगर इंजेक्शन चोरी नहीं हुए तो फिर रिपोर्ट क्यों लिखवाई गयी। अभी आगे की जांच में और तथ्य केस आएंगे कि यह व्यूह रचना क्यों रची गयी।' जंहा इस बात का पता चला है कि शनिवार को हमीदिया अस्पताल से करीब 850 रेमडिसिविर इंजेक्शन चोरी होने के बाद हड़कंप मच गया था। हीरो मोटोकॉर्प ने 22 अप्रैल से 1 मई तक भारत में परिचालन अस्थायी रूप से रोक हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड ने किया बड़ा ऐलान, बंद किया कारखानों में वाहन उत्पादन देहरादून में बढ़ रहे संक्रमण के मामले, हर मिनट आ रहे कई पॉजिटिव केस