जातिगत जनगणना पर लालू और तेजस्वी यादव के अलग-अलग बयान! पटना हाई कोर्ट ने लगाई है रोक

पटना: जातीय जनगणना पर पटना उच्च न्यायालय ने अतंरिम आदेश में रोक लगाने का फैसला दिया है. इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने तत्काल प्रभाव से गणना रोकने का आदेश दिया है. जिसके बाद जातीय गणना के दूसरे चरण का काम बंद हो गया है. वहीं, अदालत के इस फैसले के बाद इस पर राजनितिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है. भाजपा ने राज्य की नीतीश कुमार सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार अदालत में इस मुद्दे पर सही से अपना पक्ष नहीं रख सकी। 

 

वहीं, RJD और JDU के नेता कह रहे हैं कि भाजपा हाई कोर्ट के स्टे आर्डर से खुश है। अब RJD सुप्रीमो और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने भी भाजपा पर हमला बोला है. लालू यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की माँग है और यह हो कर रहेगा। BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है? जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊँच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है। देश की जनता जातिगत जनगणना पर BJP की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है।'

बता दें कि, लालू जहाँ इसे स्पष्ट तौर पर जातिगत जनगणना लिख रहे हैं, वहीं उनके पुत्र और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इसे जनगणना मानने से ही इंकार कर दिया था और इसे सर्वे बताया था। तेजस्वी यादव ने गुरुवार (4 मई) को पटना उच्च न्यायालय के आदेश के बाद  कहा था कि 'यह जातीय जनगणना नहीं है, बल्कि जाति आधारित सर्वे है। यह सरकार का न तो आखिरी और न ही पहला सर्वे है।' तेजस्वी ने कहा था कि यह सर्वे जाति को लेकर नहीं था, बल्कि सबके लिए था। जबकि, अदालत का कहना था कि, जातिगत जनगणना कराने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, राज्य सरकार के पास नहीं।   

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