नई दिल्ली: अभी राजनयिकों को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच कई तरह की बातें हो रही है. हर देश में राजनयिकों की नियुक्ति के लिए अलग नियम होते हैं और उनके कार्य भी अलग-अलग ढंग से विभाजित होते हैं. एक राजनयिक का कार्य विदेश में अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का होता है. राजनयिक के कार्य मुख्यत: तीन भागों राजनीतिक अंग, व्यावसायिक अंग और राजदूत के रूप में विभाजित होते हैं. राजनीतिक राजनयिक संबंधित देश की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखता है और अपने देश और संबंधित देश की राजनीतिक मंशा के बीच समन्वय बैठाने और गंभीर राजनीतिक परिस्थितियों में आवश्यकतानुसार निर्णय लेता है. व्यावसायिक राजनयिक मुख्य रूप से अपने देश और संबंधित देश के बीच आर्थिक समझौतों की निगरानी करता है और साथ ही संबंधित देश की आर्थिक नीतियों पर पैनी नजर बनाए रखता है. इन सबसे अलग एक राजदूत वीजा संबंधित कार्यवाही पर नजर रखता है और उस प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है. हालांकि यह हमेशा जरूरी नहीं कि हर देश में इन तीनों कार्यो के लिए तीन राजनयिक ही हों. कभी-कभी एक ही व्यक्ति तीनों दायित्व का निर्वाह करता है. ब्रिटेन में राजनयिक बनने के लिए व्यक्ति को फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस में आवेदन करना पड़ता है. आवेदन में उसे अपनी शैक्षणिक योग्यता आदि का प्रमाण देना पड़ता है. इसके अलावा नागरिकता, योग्यता से संबंधित कई परीक्षाओं को पार करना पड़ता है, जिसके बाद औपचारिक तौर पर उसे राजदूत/उच्चायुक्त बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. रूस में राजनयिक की नियुक्ति की प्रक्रिया जटिल है. राजनयिकों के रूप में कई तरह की नियुक्तियां होती हैं. कई बार राजनयिक सेवा में जासूस भेजने का आरोप भी देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाने की बात सामने आती रही है. सामाजिक कार्यकर्ता हाफिज सईद को परेशान न किया जाए- पाक कोर्ट पाकिस्तानी अदालत ने आतंकी सईद को बताया समाजसेवक सलमान को मुसलमान होने की सजा - पाक विदेश मंत्री