नई दिल्ली. देश में हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दीपावली अब बहुत नजदीक आ गया है. इस साल यह त्यौहार सात नवंबर याने अगले बुधवार को आ रहा है. इस त्यौहार के नजदीक आते ही लोगों ने इसकी तैयारियां करनी भी शुरू कर दी है. दिवाली के नजदीक आते है देश भर में लोग इसके लिए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को इस पर्व के लिए सुभकामनाएँ भरे सन्देश भेजते है. लेकिन क्या आप वही पुराने घिसे-पिटे सन्देश भेज कर ऊबे नहीं है. आइये आज हम आपको दिवाली से जुडी कुछ ऐसी कवितायेँ बताते है जिन्हे आप दिवाली की सुभकामनाएँ के साथ भेज कर अपने दोस्तों का दिल जीत सकते है. साथी, घर-घर आज दिवाली फैल गयी दीपों की माला मंदिर-मंदिर में उजियाला, किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली! साथी, घर-घर आज दिवाली! हास उमंग हृदय में भर-भर घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर, किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली! साथी, घर-घर आज दिवाली! – हरिवंशराय बच्चन फिर खुशियों के दीप जलाओ ये प्रकाश का अभिनन्दन है अंधकार को दूर भगाओ पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ नवल ज्योति से नव प्रकाश हो नई सोच हो नई कल्पना चहुँ दिशी यश, वैभव, सुख बरसे पूरा हो जाए हर सपना जिसमे सभी संग दीखते हों कुछ ऐसे तस्वीर बनाओ पहले स्नेह लुटाओ सब पर फिर खुशियों के दीप जलाओ – अरुण मित्तल ‘अद्भुत’ दीपावली आई दीपों का त्योहार दीवाली। खुशियों का त्योहार दीवाली॥ लक्ष्मी गणेश का पूजन करें लोग। लड्डुओं का लगता है भोग॥ पहनें नये कपड़े, खिलाते है मिठाई । देखो देखो दीपावली आई॥ – अज्ञात कवि आओ मिलकर दीप जलाएं आओ मिलकर दीप जलाएं अँधेरा धरा से दूर भगाएं रह न जाय अँधेरा कहीं घर का कोई सूना कोना सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना हर घर -आँगन में रंगोली सजाएं आओ मिलकर दीप जलाएं. भेदभाव, ऊँच -नीच की दीवार ढहाकर आपस में सब मिलजुल पग बढायें पर सेवा का संकल्प लेकर मन में जहाँ से नफरत की दीवार ढहायें सर्वहित संकल्प का थाल सजाएँ आओ मिलकर दीप जलाएं अँधेरा धरा से दूर भगाएं. – कविता रावत ख़बरें और भी धनतेरस पर जलाए 13 दिए और साथ रख दें यह चीज़, अचनाक होगा अपार धन लाभ इस एक काम को करते ही धनतेरस तक मालामाल हो जाएंगे आप धनतेरस पर पढ़ लें एक मंत्र, धन की समस्या हो जाएगी दूर