पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक संगठन में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, जहां हर दिन किसी न किसी बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है. और इस हंगामे के साथ ही राजनीतिक दल में भी काफी बगावत देखने को मिल रही है. हाल ही में द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वे राज्यपाल सम्मेलन को इकट्ठा करने की अपनी योजनाओं को छोड़ दें और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक ' के साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की समीक्षा करें . चूंकि लोकसभा जल्द ही इस नीति पर चर्चा करेगी, राज्यों में केंद्र के प्रतिनिधों के साथ चर्चा करने से सत्ता कुंद हो जाएगी, स्टालिन ने शनिवार को एक बयान देते हुए उद्धृत किया. और उन्होंने कहा, जब केंद्र ने अपनी रिहाई से पहले एनईपी पर चर्चा नहीं की, केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के साथ, जिसमें राज्य मंत्री एक हिस्सा होंगे, राज्यपालों के साथ इस पर चर्चा करने से राज्यों को बदनाम करने और लोकसभा की शक्तियों को कमजोर करने की राशि होगी . इस ओर इशारा करते हुए कि शिक्षा के प्रमुख सचिव के अधीन राज्य सरकार द्वारा गठित समिति की आंख मिचौनी थी क्योंकि इसमें दो पूर्व कुलपति और चार वर्तमान कुलपति शामिल थे, स्टालिन ने सरकार से कहा कि वह नप के अंधेरे पक्ष पर रोशनी चमकाने वाले शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं के अलावा माता-पिता और छात्रों के प्रतिनिधियों को शामिल करे . दिल्ली में 48 हज़ार झुग्गियों पर चलेगा बुलडोज़र, भाजपा बोली- केजरीवाल ने गरीब जनता को ठगा सीएम केजरीवाल ने डेंगू के खिलाफ शुरू किया महाअभियान, जनता से की ये अपील इमरती देवी का बेतुका बयान, कहा- मिट्टी-गोबर में पैदा हुईं हूँ, कोरोना मेरे पास नहीं आ सकता