सदियों से यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या भूत सच में होते हैं या यह सिर्फ इंसानों की कल्पना का हिस्सा हैं। कई धार्मिक मान्यताओं, लोककथाओं और व्यक्तिगत अनुभवों के जरिए भूतों की कहानियां सुनने को मिलती रही हैं, लेकिन वैज्ञानिक इन बातों को नकारते हैं। तो, क्या भूत होते हैं? और अगर नहीं होते, तो इंसानों को ऐसा महसूस क्यों होता है? आइए, इस पर नजर डालते हैं। भूतों के पीछे धार्मिक मान्यताएं भूतों का ज़िक्र दुनिया की कई धार्मिक परंपराओं में मिलता है। हर धर्म और संस्कृति में भूतों और आत्माओं के बारे में अलग-अलग धारणाएं हैं। हिन्दू धर्म में भूतों की मान्यता हिन्दू धर्म में भूतों और प्रेतात्माओं का ज़िक्र धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मिलता है। माना जाता है कि भूत वे आत्माएं हैं, जो किसी कारण से शांति या मोक्ष प्राप्त नहीं कर पातीं। 'भूत', 'प्रेत', और 'पिशाच' जैसी आत्माओं का उल्लेख भी होता है और इनके लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की आवश्यकता मानी जाती है। बौद्ध धर्म में आत्माएं और भूत बौद्ध धर्म में भी आत्माओं और भूतों की मान्यता है। इन्हें 'पितृ' और 'भूत' के रूप में देखा जाता है। बौद्ध धर्म के अनुसार, आत्माएं पुनर्जन्म के चक्र में होती हैं और भूत की स्थिति को अस्थिरता के रूप में माना जाता है। इस्लाम में जिन्न की अवधारणा इस्लाम में भूतों की बजाय 'जिन्न' की धारणा है। जिन्न अदृश्य होते हैं और उनके पास कुछ विशेष शक्तियां होती हैं। ये अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के हो सकते हैं और मानव जीवन में हस्तक्षेप करने की क्षमता रखते हैं। ईसाई धर्म में आत्माओं की अवधारणा ईसाई धर्म में भूतों की मान्यता कुछ हद तक मौजूद है। कुछ परंपराओं में मृत आत्माओं और भूतों की बात की जाती है, लेकिन इसमें स्पष्टता कम है। ईसाई धर्म में माना जाता है कि मृत आत्माएं स्वर्ग या नरक में जाती हैं, लेकिन कुछ मामलों में उनकी आत्माएं बीच में फंस सकती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भूत वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, भूतों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। कई शोध और प्रयोगों के बावजूद, अब तक भूतों की अवधारणा को वैज्ञानिक रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है। भूतों का अनुभव क्यों होता है? मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, भूतों के अनुभव अक्सर तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी, मानसिक तनाव, या अवसाद के कारण हो सकते हैं। कभी-कभी तनावपूर्ण या डरावनी परिस्थितियों में लोगों को भूतों का अनुभव हो सकता है, जो उनकी मानसिक स्थिति से जुड़ा होता है। पर्यावरणीय कारण भूतों के अनुभव का एक बड़ा कारण पर्यावरणीय कारक भी होते हैं। उदाहरण के तौर पर, लो-फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स (अवाज की कम आवृत्तियों वाली तरंगें) कानों में हल्की-फुल्की कंपन पैदा कर सकती हैं, जिससे भूतों का आभास हो सकता है। इसके अलावा, पुराने और जर्जर भवनों में होने वाली असामान्य आवाजें और वहां का अंधेरा भी भूतों का अनुभव करा सकता है। सांस्कृतिक और व्यक्तिगत विश्वास वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूतों का अनुभव कहीं न कहीं हमारी सांस्कृतिक और व्यक्तिगत मान्यताओं से भी जुड़ा होता है। लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाएं उनकी भूतों के प्रति सोच को प्रभावित करती हैं, और इसी वजह से भूतों के अनुभव अधिकतर उन्हीं लोगों को होते हैं जो इन धारणाओं में विश्वास रखते हैं। तो, भूतों के अस्तित्व पर विश्वास करना या न करना व्यक्ति के नजरिए पर निर्भर करता है। धार्मिक मान्यताओं में भूतों का उल्लेख है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे कभी सिद्ध नहीं किया गया है। चाहे जो भी हो, भूतों का अनुभव अक्सर मानसिक और पर्यावरणीय कारणों से जुड़ा होता है। केरल के इस शहर में पानी की भीषण किल्ल्त, बंद करने पड़े स्कूल-कॉलेज 'तो क्या रूस से तेल ना खरीदें..', प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की तीखी नसीहत जम्मू कश्मीर में कौन है भाजपा की B टीम? जिसपर भड़कीं महबूबा मुफ़्ती