एक ही तरह के मामलों से संबंधित एक जैसे सवालों को लेकर बार-बार अपील दायर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लताड़ लगाते हुए मुकदमा नीति में सुधार की जरूरत की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार बेकार मामलों पर अपील दायर करके जहां खुद का वित्तीय बोझ बढ़ाती है, वहीं इससे अन्य वादियों को भी नुकसान होता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार पर इसके लिए पहले जुर्माना भी लगाया जा चुका है, फिर भी सरकार ने इससे कोई सबक नहीं सीखा है. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि सरकार सो-सो कर जागने की अपनी आदत से कब बाज आएगी. केंद्र सरकार की मुकदमा नीति में सुधार की धीमी प्रक्रिया पर सरकार की खिंचाई करते हुए जस्टिस मदन बी.लोकुर और दीपक गुप्ता की एक बेंच ने एनडीए सरकार के सुधारवादी नारे 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' का हवाला दिया है. बेंच ने कहा, 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस की आड़ में न्यायापालिका से सुधार करने के लिए कहा जा रहा है. वास्तव में अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपी जा रही है.' बेंच ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि किसी दिन यूनियन ऑफ इंडिया को यथार्थवादी और सार्थक राष्ट्रीय मुकदमा नीति तैयार करने के संबंध में अकल आएगी और जिसे वह 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' कहती है, जिसे ईमानदारी से अगर लागू किया जाए तो देश भर के वादियों को फायदा पहुंचेगा.' सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि 'जस्टिस डिलिवरी सिस्टम पर अनावश्यक बोझ' न डालें और अपनी मुकदमा नीति में सुधार करें. बेंच ने कहा, 'लेकिन स्पष्ट है कि केंद्र सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है और रजिस्ट्री से केस को वापस नहीं लिया है. सरकार को यह मानना चाहिए कि वह अनावश्यक अपील दायर करके जहां कोर्ट पर बोझ बढ़ा रही है, वहीं इससे अन्य वादियों को भी नुकसान हो रहा है क्योंकि उनके केसों की सुनवाई में देरी हो रही है. अगर केंद्र सरकार को जस्टिस डिलिवरी सिस्टम की परवाह होती तो वह उन वादियों के लिए कुछ चिंता दिखाती.' मुस्लिमों का अयोध्या पर कोई हक नहीं है- शंकराचार्य SC में इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति के विरोध में इंदिरा जयसिंह श्री राम जन्मभूमि विवाद : मामले की अगली सुनवाई 15 मई को