पूजा-पाठ करने के बाद भी नहीं हो रही उचित फल की प्राप्ति तो जरा ध्यान दें

हिन्दू मान्यता के अनुसार देवी-देवताओं को खुश करने का एक मात्र तरीका उनकी पूजा व आराधना है जिसकी वजह से वह खुश होकर इंसान कि मनोकामनाएं पूरी करते हैं। लेकिन अक्सर यही देखने को मिलता है कि इतनी ज्यादा पूजा-पाठ करने के बाद भी हमें किसी प्रकार का कोई फायदा नहीं हो रहा, ऊपर से लगातार घर में किसी न किसी प्रकार कि समस्या का आगमन चलता ही रहता है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो इसका मतलब यह है कि अपकी पूजा मे जरूर किसी चीज कि कमी है जिसकी वजह से आपको उसका उचित फल नहीं मिल रहा तो चलिए जानते हैं कि हमें किस प्रकार से देवी-देवताओं कि पूजा व अराधना करना चाहिए जिससे धन व ऐश्वर्य कि प्राप्ती हो सके।

शिव जी को विल्व पत्र ,विष्णु को तुलसी ,गणेश जी को हरी दूर्वा ,दुर्गा को अनेक प्रकार के पुष्प और सूर्य को कनेर के पुष्प प्रिय है। शिव जी को सदाबहार पुष्प ,विष्णु को धतूरा और देवी को आक के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते विष्णु को चावल ,गणेश जी को तुलसी ,देवी को दूर्वा ,सूर्य को विल्व पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। लाल से सफ़ेद और सफ़ेद से नीला कमल भगवान को अत्यधिक प्रिय है। देवतायों को पूजन में अनामिका से गंध लगाना चाहिए। घी का दीपक दाई ओर तेल का दीपक बाई ओर रखना चाहिए। पुष्प हाथ में और चंदन ताम्र पत्र में रखें। जल \पात्र \घंटा \धूपदानी आदि बाई ओर रखना चाहिए।

शंख को जल में डुबना और पृथ्वी पर रखना वर्जित है। शंख में चंदन और फूल छोड़ना चाहिए। भगवान के आगे जल का चौकोर घेरा बनाकर नैवेघ रखे और देवी के दाई ओर नैवेघ रखना चाहिए। सभी देवताओं को सात ,पांच य तीन बार प्रणाम करना चाहिए। एक दीपक से दूसरा दीपक नहीं जलाना चाहिए। पूजन में किसी सामग्री की कमी होने पर उस स्थान पर अक्षत ,फूल चढ़ा दें। शास्त्रों में पूजा को हजार गुना फलदायी बनाने के लिए एक उपाय बतलाया गया है ,वह है ''मानस पूजा ''कल्पना द्वारा हर प्रकार की सुंदर पूजन से भी भगवान प्रसन्न होते है। घर में पूर्व की ओर मुख करके दीपक रखने से वह आयु देता है, उत्तर की ओर धन, पश्चिम की ओर दुःख और दक्षिण की ओर मुख करके रखने से हानि देता है।

 

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