आचार्य चाणक्य, जिनके नीति ग्रंथ "चाणक्य नीति" में जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं और नैतिक नियम समाहित हैं, ने एक श्लोक में सात चीजों का उल्लेख किया है जिन्हें गलती से भी पैर से नहीं छूना चाहिए। यह श्लोक चाणक्य की नीति शास्त्र के सातवें अध्याय में है और इसका उद्देश्य है कि इन चीजों के प्रति उचित सम्मान और पूजा का आदान-प्रदान किया जाए। आइए विस्तार से जानते हैं कि ये सात चीजें कौन-कौन सी हैं और क्यों इन्हें पैर से नहीं छूना चाहिए: श्लोक का अर्थ: "पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरुं ब्राह्मणमेव च। नैव गावं कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा॥" 1. अग्नि: अग्नि को पैर से छूना बहुत ही अशुभ माना गया है। हिन्दू धर्म में अग्नि को देवता के रूप में पूजा जाता है और इसे पवित्र माना जाता है। महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान और कर्म अग्नि को साक्षी मानकर किए जाते हैं। इसलिए, अग्नि को पैर से छूना न केवल शास्त्रविरुद्ध है बल्कि यह अपमान और अशुद्धि का कारण भी बनता है। 2. गुरु: गुरु को महान सम्मान और आदर दिया जाता है। गुरु वे होते हैं जो ज्ञान, दिशा और सही मार्ग प्रदान करते हैं। उन्हें पैर से छूना असभ्यता और disrespect को दर्शाता है। चाणक्य के अनुसार, ऐसे व्यक्ति जीवनभर दुख भोगते हैं और उन्हें कभी भी उचित सम्मान नहीं मिलता। 3. ब्राह्मण: ब्राह्मण समाज के ज्ञानी वर्ग होते हैं और उन्हें सम्मान और पूजा का विशेष हक होता है। ब्राह्मणों को पैर से छूना भी अत्यंत अनुचित माना गया है। यह शास्त्रों की शिक्षा के खिलाफ है और इसके कारण व्यक्ति का सम्मान और आदर कम हो जाता है। 4. वृद्ध: वृद्ध जनों को समाज में उच्च सम्मान और आदर प्राप्त होता है। वे जीवन के अनुभवों और ज्ञान के कारण हमारे लिए मार्गदर्शक होते हैं। उन्हें पैर से छूना एक तरह से उनके प्रति असम्मान प्रकट करना होता है, जो जीवन में कठिनाइयों और दंड का कारण बन सकता है। 5. कुमारी कन्या: कुमारी कन्या या युवा लड़की भी समाज में सम्माननीय मानी जाती है। उन्हें पैर से छूना अशोभनीय माना जाता है और इसे पाप की श्रेणी में रखा जाता है। कन्याओं को आदर और सम्मान मिलना चाहिए, न कि उन्हें अपमानित करना चाहिए। 6. शिशु: छोटे बच्चे या शिशु भी आदर और सम्मान के पात्र होते हैं। उनकी मासूमियत और निश्चलता को देखते हुए उन्हें पैर से छूना अशुद्धि और पाप की श्रेणी में आता है। बच्चों को स्नेह और प्यार मिलना चाहिए, न कि उन्हें अपमानित किया जाना चाहिए। 7. गाय: गाय को हिंदू धर्म में विशेष पवित्रता और सम्मान दिया गया है। गाय को पैर से छूना या उसे चोट पहुँचाना अत्यंत गलत माना जाता है। वेदों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति गाय को अपमानित करता है, वह जड़-मूल से नष्ट हो जाता है। इन सभी बिंदुओं का सार यह है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार, सम्मान और आदर हर जीव और तत्व के प्रति होना चाहिए। इन्हें पैर से छूना न केवल शास्त्रविरुद्ध है बल्कि यह सामाजिक और नैतिक मानदंडों के खिलाफ भी है। इन नियमों का पालन करके हम एक सजग, सभ्य और सम्मानजनक समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। जन्मभूमि पर 26 को तो बांके बिहारी मंदिर में 27 अगस्त को क्यों मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी? जानिए वजह बेहद चमत्कारी है ये पौधे, घर में रखने से होगी धन की वर्षा कब है पुत्रदा एकादशी का व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व