पितृ पक्ष : पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष का हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है. माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर भ्रमण करते है और इस दौरान उन्हें भोजन अर्पित करना काफी शुभ होता है. हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात श्राद्ध करना आवश्यक होता है. साथ ही मान्यता यह भी है कि यदि इस दौरान पूर्वजों का श्राद्ध नहीं होता है, तो उन्हें मुक्ति नहीं मिल पाती है. पितृ पक्ष का महत्व... पितृ पक्ष का इतिहास महाभारत काल का है. श्राद्ध की परंपरा हमारे यहां महाभारत काल से चली आ रही है. ब्रह्म वैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख है कि देवताओं को प्रसन्न करने से पहले हमें अपने पूर्वजों को खुश करने की आवश्यकता होती है. इसके लिए श्राद्ध जरूर करना चाहिए. भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से श्राद्ध शुरू होते हैं और 16 दिनों तक चलने के बाद इनका समापन आश्विन कृष्ण अमावस्या को होता है. श्राद्ध के दौरान न करें इन सामग्रियों का उपयोग... किसी भी कार्य में सावधानी बरतनी बेहद आवश्यक होती है. श्राद्ध के दौरान कुछ ऐसी चीजें होती है, जिनका उपयोग हमें कतई भी नहीं करना चाहिए. तो आइए जानते हैं ऐसी सामग्रियों के बारे में. - केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन नहीं कराना चाहिए. - ध्यान रहें कि लोहे का आसन भी उपयोग नहीं करना चाहिए. - हमें श्राद्ध सोने, चांदी,कांसे, तांबे के पात्र या पत्तल से करना चाहिए. इन सामग्रियों का जरूर करें उपयोग... - श्राद्ध करते समय हमें गंगाजल, दूध, शहद, तरस का कपड़ा, दौहित्र, कुश और तिल का उपयोग अवश्य करना चाहिए. - तुलसी के पत्ते से पितृगण प्रलयकाल तक प्रसन्न और संतुष्ट रहते हैं. इसे लेकर ऐसी मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णुलोक की ओर रवाना हो जाते हैं. श्राद्ध से होता है यह बड़ा लाभ, कैसे करना चाहिए श्राद्ध ? जन्माष्टमी पर हर मनोकामना पूर्ति के लिए करें कृष्ण अष्टकम् का पाठ भगवान श्री कृष्ण और गौ माता का संबंध, जानिए इस अद्भुत रहस्य के बारे में ?