दुनियाभर में लाखों तरह के जानवर पाए जाते हैं, लेकिन पक्षियों में खासकर इंसानों को कबूतर बहुत पसंद आते हैं। उनकी कोमलता, रंग-बिरंगी पंख और मधुर बोली लोगों को आकर्षित करती है। आपने देखा होगा कि पुराने समय में कबूतरों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया जाता था। यहां तक कि आज भी कुछ जगहों पर जासूसी के लिए कबूतरों का उपयोग होता है। पर सवाल यह है कि आखिर कबूतर इतने समझदार कैसे होते हैं कि वे रास्ते को पहचानकर सही इंसान तक संदेश पहुंचा देते हैं? कबूतरों का इस्तेमाल संदेश भेजने में: आज के दौर में इंटरनेट की मदद से हम एक सेकंड में कहीं भी संदेश भेज सकते हैं। लेकिन पुराने समय में ऐसा नहीं था। तब संदेश भेजने में हफ्तों, महीनों या यहां तक कि सालों का समय लग जाता था। पहले लोग पैदल या घोड़े की मदद से संदेश पहुंचाते थे, जिसमें काफी समय लगता था। कई बार रास्ते में संदेश खो जाते थे या देरी से पहुंचते थे, जिससे लोग परेशान होते थे। तब एक बेहतर विकल्प के तौर पर लोगों ने कबूतरों का इस्तेमाल करना शुरू किया, क्योंकि वे तेज़ और सुरक्षित तरीके से संदेश पहुंचाने में मददगार होते थे। कबूतरों की अद्भुत समझ: कबूतरों में एक खासियत होती है कि वे अपने घोंसले का रास्ता कभी नहीं भूलते, चाहे उन्हें कितनी ही दूर भेजा जाए। वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि कबूतरों के दिमाग में दिशाओं को याद रखने की एक विशेष क्षमता होती है। वे मीलों दूर उड़कर भी सही रास्ता पहचान लेते हैं और वापस अपने घोंसले तक पहुंच जाते हैं। कबूतरों का जीपीएस जैसा दिमाग: कबूतरों के दिमाग में एक तरह का प्राकृतिक जीपीएस सिस्टम होता है, जिससे वे दिशा का सही अंदाज़ा लगा पाते हैं। इसमें उनकी मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल काम करती है, जो उन्हें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के आधार पर रास्ता खोजने में मदद करती है। इसके अलावा, उनके दिमाग में 53 कोशिकाओं का एक समूह होता है, जो उन्हें दिशा और चुंबकीय क्षेत्र की पहचान में सहायता करता है। कबूतरों की आंखों की खासियत: कबूतरों की आंखों के रेटिना में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है जिसे क्रिप्टोक्रोम कहा जाता है। इस प्रोटीन की मदद से वे जल्द ही रास्ता ढूंढ लेते हैं। यही कारण है कि पुराने समय में कबूतरों को संदेशवाहक के रूप में चुना जाता था, क्योंकि वे रास्ता भूलते नहीं थे और तेजी से संदेश पहुंचा देते थे। क्यों चुना गया कबूतरों को संदेशवाहक?: कबूतरों की यह अनोखी क्षमता और दिशाओं को याद रखने की उनकी अद्भुत समझ ही उन्हें संदेशवाहक के रूप में उपयोगी बनाती थी। इसीलिए, प्राचीन समय से लेकर अब तक, कबूतरों का इस्तेमाल संदेश भेजने के लिए किया जाता रहा है। राजकुमार राव के कारण रुका अदनान सामी का कमबैक! गाने को किया रिजेक्ट साजिश के तहत पटाखा फैक्ट्री में हुआ विस्फोट! पकड़ा गया बारूद जलाने वाला भूरे खान खुद की ही खोज से उड़े वैज्ञानिकों के होश