महाशिवरात्रि पर ऐसे करे शिवाराधना

महा शिवरात्रि हिन्दुओ का महापर्व है, इस दिन हम भगवान शंकर की आराधना करते है. शिव के पूजन का इस दिन विशेष महत्व है. माघ मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि की रात्रि को महा शिवरात्रि कहा जाता हैं. इस साल शिवरात्रि 13 फरवरी (दिन-मंगलवार) को है. शिवरात्रि को सम्पूर्ण पृथ्वी पर जितने भी शिवलिंग स्थापित हैं, उन सब में शिव जी का वास माना जाता है. शिवरात्रि का व्रत मनुष्य के सभी पापों को नष्ट करने वाला है. सभी दुखो को दूर करने की इसमें क्षमता होती है.

इस व्रत के प्रभाव से सभी तरह के पापों का नाश होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत के करने मनुष्य के सभी इच्छाये पूरी होती है. मगर पूजन की सही सामग्री और विधि से ही पूजन सार्थक और सफल होती है.महाशिवरात्रि के पूजन में प्रमुखता से धूप, दीप, अक्षत, सफेद चंदन, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, बेल, नैवेद्य आदि सामग्री शामिल है.

महाशिवरात्रि पूजन विधि -शिवरात्रि के दिन प्रातः काल में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. फिर किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करें. सारे दिन “ऊँ नम: शिवाय” का जप करते रहे, शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, शिवमंदिर में सअभी पूजन सामग्री के साथ जायें, शिवा जी की चारों प्रहर में पूजा करें, भोलेनाथ को गंध, पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, बेलपत्र, धतूरा, बेल, ताम्बूल (पान के पत्ते पर लौंग, इलायची, सुपारी तथा कुछ मीठा रखकर ताम्बूल बनायें) ,पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद मिलाकर) इत्यादि से पूजा करें, पूजन की समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये मन-ही-मन शिव जी का ध्यान करें:- ऊँ सद्योजाताय नम:, ऊँ वामदेवाय नम:, ऊँ अघोराय नम:,ऊँ ईशानाय नम:, ऊँ तत्पुरुषाय नम:

क्यों मनाते है महाशिवरात्रि ?

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