नवरात्र का सातवाँ दिन मां कालरात्री का दिन होता है. इस संसार में जब जब पापियों का पाप बढ़ा है तब तब माता काली ने उनका संहार किया है. माता काली का स्वरुप काजल के समान काला है. इनके स्वरुप को देखकर पापी राक्षस भी भयभीत हो जाते है. जो भी माँ काली की पूजा करता है उन पर माँ काली की कृपा बनी रहती है. उनके भक्तो को बुरी शक्तियां प्रभावित नहीं कर सकती, माता कलि का स्वरुप अद्भुद्ध है. भगवान भोले नाथ के अलावा माता काली को भी त्रिनेत्री कहा जाता है. ऐसा मानना है की जब जब इस संसार में पाप बढ़ा है तब तब माता काली अपनी तीसरी आँख खोल देती है और पापियों का नाश करती है. इनकी तीसरी आंख बिजली के समान प्रकाश उजागर करती है, इनके बाल खुले और बिखरे हुए हैं जो की हवा में लहराते हैं, कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है, इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं. इनकी चार भुजाएं हैं, दायीं ओर की उपरी भुजा से माता काली भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं, बायीं भुजा में शक्ति शाली तलवार और खड्ग (वज्र) लिए हुयें है, शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि गर्दभ (गधे) पर विराजमान हैं, देवी कालरात्रि का विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है अतः देवी को शुभंकरी भी कहा है. पूजा करते समय करें इस मंत्र का जाप:- या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। गर्भ धारण के लिए ये दिन काफी अशुभ माने जाते है महिलाओं के ये आभूषण अगर गुम जाए तो समझ लें की.... जानिये कामयाबी के आसान उपाय किस्मत वाले होते है वो लोग जिनके हाथों में बनता है "Y"