प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। हालांकि, हनुमान जयंती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है क्योंकि बजरंगबली आज भी पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। मान्यता है कि आज भी वह हम सभी के आस-पास मौजूद हैं तथा हर समस्या से हमें बचाते हैं। वहीं इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव का पर्व 23 अप्रैल को मनाया जाएगा। वही उपासना करने के साथ ही अगर आप हनुमान जी से जुड़े कुछ प्रतीक चिह्न लाएं तो घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है तथा साधक को कई लाभ प्राप्त होते हैं. आइये आपको बताते है हनुमान जन्मोत्सव के दिन कौन से प्रतीक चिह्न घर लाकर स्थापित करें... 1. घर में लाएं सिंदूर बजरंगबली जी को लेकर गोस्वामी तुलसी दास ने भी कहा है ‘लाल देह लाली लसे अरू धर लाल लंगूर.’ इससे यह पता चलता है कि बजरंगबली को सिंदूर बेहद प्रिय है. जब उनकी पूजा की जाती है तो सिंदूर विशेष तौर पर चढ़ाया जाता है. पुराणों में मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन घर में सिंदूर लाने से साधक का सौभाग्य जागता है. सिंदूर चढाने से भगवान बजरंगबली की विशेष कृपा प्राप्त होती है. हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान को सिंदूर का लेप जरूर लगाएं. 2. हनुमान जी के रूप बंदर को लाएं घर पुराणों में बजरंगबली को वानर रूप में बताया गया है. भगवान के इस रूप को शुभता का प्रतीक माना जाता है. हनुमान जन्मोत्सव के दिन उनके वानर रूप यानी बंदर की फोटो या प्रतिमा घर अवश्य लाएं. वानर की फोटो या प्रतिमा में एक सकारात्मक ऊर्जा समाहित होती है, जिससे घर में छाई विपदाएं दूर होती हैं. साथ ही घर में शांति का वातावरण बनता है. 3. भगवान का अस्त्र गदा लाएं घर भगवान बजरंगबली के अस्त्र गदा को नकारात्मक शक्तियों के नाशक के रूप में जाना जाता है, इसलिए हनुमान जन्मोत्सव के दिन घर में गदा लेकर आना चाहिए. अगर घर में कोई बुरी ऊर्जा हो और किसी तरह का भय सता रहा हो तो हनुमानोत्सव के दिन गदा लाकर पूजा करने के पश्चात् पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए. 4. फरसा करें स्थापित अगर आपके घर में वास्तु दोष हो तथा आपको उसे दूर करना हो या फिर आपकी कुंडली में ग्रह दोष हो तो इसका निदान हनुमान जन्मोत्सव के दिन कर सकते हैं. इसके लिए हनुमानोत्सव के दिन घर में फरसा लाना चाहिए. इसका साइज छोटा होने के साथ तांबे का बना हो तो और भी श्रेष्ठ है. हनुमान जन्मोत्सव पर बन रहे है कई शुभ संयोग, इन 5 राशियों का चमकेगा भाग्य आखिर क्यों साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव? 23 या 24 अप्रैल... कब है हनुमान जन्मोत्सव?