इस सावन का आरम्भ 22 जुलाई से होने जा रही है तथा समापन 19 अगस्त, सोमवार को रक्षाबंधन के दिन होगा. ऐसा कहा जाता है सावन में जो भी जातक व्रत रखता है, उसकी महादेव सभी इच्छाएं पूरी करते हैं. साथ ही महादेव की इसी विशेष कृपा के लिए सावन में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है. इस बार सावन बहुत ही विशेष माना जा रहा है क्योंकि सावन में 72 वर्ष पश्चात् प्रीति योग, आयुष्‍मान योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. वहीं, गजकेसरी योग भी बनने जा रहा है. वही सावन में प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं शिव चालीसा। जरूर ध्यान रखें ये बातें शिव चालीसा का पाठ करते वक़्त आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। साथ ही शिव चालीसा का पाठ 3, 5, 11 या फिर 40 बार करना बेहतर माना जाता है। चालीसा के पाठ से पहले महादेव को सफेद चंदन, चावल, धूप-दीप आदि चढ़ाएं तथा प्रसाद के रूप में मिश्री का भोग लगाएं। शिव चालीसा ।।दोहा।। श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।। ।।चौपाई।। जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला।। भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के।। अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये।। वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे।। मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी।। कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी।। नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे।। कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ।। देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा।। किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।। तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ।। आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा।। त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई।। किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।। दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं।। वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई।। प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला।। कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई।। पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा।। सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।। एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई।। कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।। जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी।। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।। त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो।। लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो।। मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई।। स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी।। धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं।। अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।। शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन।। योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं।। नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।। जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई।। ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी।। पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।। पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ।। त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा।। धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।। जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे।। कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी।। ।।दोहा।। नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।। मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।। पीरियड्स के दौरान सावन सोमवार का व्रत करना चाहिए या नहीं? आज जरूर करें ये एक काम, बने रहेगी सुख समृद्धि सावन की इन 7 तिथियों पर जरूर करें रुद्राभिषेक, जल्द प्रसन्न होंगे भोलेनाथ