वर्ष में 24 एकादशी आती हैं तथा प्रत्येक महीने में 2 एकादशी पड़ती हैं. प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन की चंचलता खत्म होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा. उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति एवं मोक्ष के लिए किया जाता है. यह व्रत मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. आइए आपको बताते है इस एकादशी के विशेष प्रयोग और इससे जुड़ी सावधानियां... उत्पन्ना एकादशी के विशेष प्रयोग:- प्रातः काल पति-पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की आराधना करें. उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल एवं पंचामृत चढ़ाएं. तत्पश्चात, संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें. मंत्र होगा - "ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता". पति पत्नी एक साथ फल और पंचामृत ग्रहण करें. उत्पन्ना एकादशी से जुड़ी सावधानियां:- उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक आहार पूरे दिन नहीं करना है. किसी से भी बुरा बर्ताव नहीं करना है. प्रभु विष्णु को अर्घ्य दिए बिना दिन की शुरुआत न करें. सिर्फ हल्दी मिले हुए जल से ही अर्घ्य दें. अर्घ्य के लिए रोली या दूध का इस्तेमाल न करें. सेहत ठीक न हो तो उपवास न रखें. सेहत ठीक न होने पर सिर्फ बाकी नियमों का पालन करें. काल भैरव जयंती पर जरूर करें ये पाठ, पूरी होगी हर मनोकामना काल भैरव जयंती पर इन नियमों का जरूर करें पालन, वरना भुगतना पड़ेगा अंजाम जानिए कैसे हुई काल भैरव की उत्पत्ति? यहाँ जानिए पौराणिक कथा