भूकंप एक प्राकृतिक घटना है जिसमें भूमि की तरंगें या जड़ों में होने वाली आंतरिक संकटात्मक गतिविधियाँ उत्पन्न होती हैं। यह गतिविधियाँ साधारणतया क्षणिक होती हैं लेकिन धरती पर बहुतायत में नुकसान पहुंचा सकती हैं। भूकंप के कारण आकाशीय तंत्रों में होने वाले गतिविधियाँ, तापमान के बदलाव, तल पर पतली तरंगों का प्रसार या सामरिक कारणों के कारण भूमि में तनाव उत्पन्न होता है। भूकंपों को रिक्ति (इपीसी) या रेक्टर (भूवैज्ञानिक) द्वारा मापा जाता है और इसे रिक्टर स्केल (माग्नीटूड स्केल) के आधार पर मापा जाता है। भूकंप के लिए एक अन्य माप का उपयोग किया जाता है, जिसे मर्सिलि भूकंप मापन माप यंत्र (एमबीएम) कहा जाता है। इसमें भूकंप की तीव्रता का माप भी किया जाता है, जिसे अक्षमता श्रेणी (आईएस) में निर्दिष्ट किया जाता है। भूकंपों का प्रभाव विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि भूमि के क्षेत्र, कंठों की संरचना, ज़मीन की प्रकृति और भूकंप की तीव्रता। इसके परिणामस्वरूप, भूकंप प्रभावित क्षेत्र में जीवन और संपत्ति के नुकसान की संभावना होती है। भूकंपों के प्रमुख प्रभाव शामिल हैं भूमि की हिलन, भूमि के दबाव के बदलाव, भूमि के फटने या तोड़फोड़न, भूमि में जल-जमाव, लहरों या तालबंदी की उत्पत्ति, और भूकंप-संबंधी अवरोध। भूकंप के पश्चात आमतौर पर भूभाग पुनर्स्थापित होता है, लेकिन इसके बाद भी उपद्रव और आपदाएं हो सकती हैं, जैसे कि भूगर्भीय दलदल, भूस्खलन, और तूफानी झरने। भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण की गुणवत्ता, भूमि का नक्शा, और भूमि के नियंत्रण नियमों की पालना में सुधार करने की आवश्यकता होती है ताकि जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। भूमिगत निर्माण: इंजीनियरिंग और निर्माण के दौरान, सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए, भूमिगत संरचनाओं का निर्माण किया जा सकता है। यह मजबूत आधार प्रदान करता है और भूकंप के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। ज़मीनी सुरक्षा नीतियाँ: निर्माण कोड और ज़मीनी सुरक्षा नीतियों का पालन करना अत्यावश्यक है। इसमें भूमिगत संरचनाओं के लिए मजबूती, तंत्रिक सुरक्षा उपकरणों की उपयोगिता, और निर्माण प्रक्रिया में भूमिगत सुरक्षा को मजबूत बनाने के नियम शामिल होते हैं। भूमिगत संरक्षा सुविधाएं: भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों में, जैसे कि क्षेत्रों के पास फॉल्ट लाइनें होती हैं, सुरक्षा सुविधाएं जैसे भूकंप संरक्षा प्राधिकरण (एनसीडीआर) द्वारा बनाई गई सुरक्षा टिकट आवश्यक हो सकते हैं। भूकंप जागरूकता: जनसंचार के माध्यम से जनता को भूकंप से संबंधित जागरूकता प्रदान की जाती है। जनता को भूकंप के लक्षण, सुरक्षा नियमों, आपातकालीन योजनाओं, और आवश्यक सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए संचार माध्यमों का उपयोग किया जाता है। जीवन की सुरक्षा योजना: जीवन की सुरक्षा के लिए आपातकालीन योजनाएं बनाई जाती हैं। इसमें अग्रिम चेतावनी सिस्टम, भूकंप प्राथमिक उत्तर टीम, और उचित आपातकालीन संरचनाओं का निर्माण शामिल हो सकता है। भूकंप संगठन: स्थानीय समुदायों और सरकारी अधिकारियों के बीच सशक्त भूकंप संगठन बनाए जाते हैं। ये संगठन जनता को जागरूक करते हैं, तैयारी कार्यक्रम आयोजित करते हैं, और भूकंप के लिए तत्परता बढ़ाते हैं। जीवन और संपत्ति की सुरक्षा: इंद्रधनुषी, इंजीनियरिंग और निर्माण मानकों के अनुसार निर्माण किए गए इमारतोंऔर संपत्ति की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें इमारतों की मजबूती, आधारभूत सुरक्षा उपकरणों का उपयोग, भूमिगत संरचनाओं की अच्छी निर्माण प्रक्रिया, आपातकालीन नियोजन और अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं। भूकंप को पूरी तरह से रोकना मानवीय शक्ति के अलावा संभव नहीं है, क्योंकि भूकंप प्राकृतिक घटना है और उसकी कारणें भूमि के आंतरिक प्रक्रियाओं से जुड़ी होती हैं। हालांकि, हम भूकंप के प्रभावों को कम करने और भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के उपाय अपना सकते हैं। यहां कुछ उपाय दिए गए हैं: भूपृष्ठीय संरचना: भूमिगत संरचनाओं, जैसे इमारतें, सेतुएं, और सड़कों की निर्माण प्रक्रिया में सुरक्षा सुविधाओं का पालन करना चाहिए। मजबूत निर्माण सामग्री और भूकंप प्रतिरोधी तकनीकों का उपयोग करके सुरक्षित संरचनाएं बनाई जा सकती हैं। भूकंप जागरूकता: जनता को भूकंप के बारे में जागरूक करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उचित जागरूकता कार्यक्रमों और शिक्षा के माध्यम से लोगों को भूकंप के लक्षण, सुरक्षा नियमों, और आवश्यक कार्रवाई की जानकारी मिलती है। भूपृष्ठीय अवधारणा: भूमिगत संरचनाओं को भूमि की अवधारणा के अनुसार निर्मित करना चाहिए। यह अवधारणा इमारतों के लिए मजबूत आधार प्रदान करती है जो भूकंप के प्रभाव को कम कर सकती है। सामरिक तत्परता: तंत्रिक संरचनाओं, जैसे डैम्स और इमारतों, को भूकंप प्रतिरोधी तकनीकों के साथ निर्माण करना चाहिए। ये तकनीकें भूकंप के प्रभाव को संभाल सकती हैं और तंत्रिक संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं। भूकंप नियंत्रण और निगरानी: तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करके भूकंप की निगरानी और नियंत्रण किया जा सकता है। भूकंप निगरानी प्रणाली और समुद्री तटों पर बुनियादी निगरानी अनुप्रयोग करके भूकंप की गतिविधियों को पहचानने और मापन करने में मदद करता है। जीवन और संपत्ति की सुरक्षा: जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए आपातकालीन योजनाएं बनाई जाती हैं। ये योजनाएं जीवन की सुरक्षा के लिए उचित चेतावनी प्रणाली, तत्परता टीम, और आपातकालीन संरचनाओं का निर्माण शामिल करता हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य भूकंप के समय जीवनों की सुरक्षा करना और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए तत्पर रहना है। भूकंप संगठन: भूकंप संगठनों का गठन करना महत्वपूर्ण है जो भूकंप प्रबंधन की जिम्मेदारी लेते हैं। ये संगठन जनसंचार, जागरूकता, तैयारी कार्यक्रम और सुरक्षा नीतियों को संघटित करते हैं। भूकंप परीक्षण और अनुमान: भूकंप के परीक्षण और अनुमान के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी माध्यमों का उपयोग किया जाता है। इससे भूकंप के प्रभाव को पहचाना जा सकता है और उचित नियोजन और तत्परता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। रिक्टर स्केल: यह सबसे प्रचलित और प्रयुक्त मापन पद्धति है। इसमें भूकंप की मात्रा और तीव्रता का माप एक विशेष मापक (सेस्मोग्राफ) के द्वारा किया जाता है। रिक्टर स्केल पर मापन, जिसे भूकंप के लिए बनाया गया है, के आधार पर एक भूकंप को एक मात्रात्मक मान (माग्नीटूड) के रूप में व्यक्त किया जाता है। लोगारिथ्मिक स्केल: यह एक अल्टर्नेटिव मापन पद्धति है जो भूकंप की तीव्रता को व्यक्त करने के लिए उपयोग की जाती है। इसमें भूकंप की तीव्रता को लोगारिथ्मिक स्केल पर दर्शाया जाता है, जिससे तीव्रता एक अंक में प्रदर्शित होती है। इन्स्ट्रुमेंटल विश्लेषण: यह मापन तकनीक उच्चतम स्थानीयीकरण के साथ भूकंप की तालिका और उत्तेजना का विश्लेषण करती है। इसमें सेस्मोग्राफ और अन्य संबंधित उपकरणों का उपयोग किया जाता है जो भूकंप की गतिविधियों को निगरानी करने में मदद करते हैं। ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस): जीपीएस सत्यापन और भूकंप की स्थानांतरण गतिविधियों का मापन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह सैटेलाइट प्राप्ति प्रणाली का उपयोग करके स्थानीयीकरण को मापता है और भूकंप के लिए तत्परता को जांचता है। इमारती संरचना के माध्यम से मापन: भूकंप मापन के लिए कुछ उपकरण इमारती संरचना के माध्यम से उपयोग किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, सेंसर्स और अनुक्रमणिका प्रणाली का उपयोग करके इमारतों के तंत्रिक संरचनाओं के विचारशीलता को मापा जाता है और भूकंप की गतिविधि को पहचाना जाता है। भूलकर भी नहीं करना चाहिए इस चीज का सेवन वरना हो सकते है कैंसर क्या आप भी बिल्ली ने लिया है काट तो इस तरह करें इलाज VIDEO! अचानक टेक ऑफ करती फ्लाइट में चिल्लाने लगा यात्री और फिर जो हुआ...