सोमवती अमावस्या पर जरूर करें ये काम, पितृदोष से मिलेगी मुक्ति

सनातन धर्म में दान का विशेष महत्व है, और इसे एक शक्तिशाली साधन माना जाता है जिसके जरिए मनुष्य पुण्य अर्जित करता है। खासतौर पर पूर्णिमा और अमावस्या तिथियां दान के लिए बहुत शुभ मानी जाती हैं। इसी प्रकार सोमवती अमावस्या का दिन भी विशेष महत्व रखता है, जो इस साल 30 दिसंबर, सोमवार को पड़ेगा। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान के साथ-साथ अन्य धार्मिक कर्मों का पालन करने से व्यक्ति को पितृदोष से मुक्ति मिलती है तथा उनके जीवन में खुशहाली आती है।

इन चीजों का करें दान: काले तिल का दान:  सोमवती अमावस्या के दिन काले तिल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। काले तिल का दान पितरों को प्रसन्न करने के साथ-साथ अशुभ शक्तियों से बचाव का भी एक तरीका है। तिल का दान व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। इस दिन स्नान के बाद काले तिल का दान करने से पितृदोष दूर होता है और व्यक्ति को शांति मिलती है।

वस्त्रों का दान:  इस दिन पितरों का पिंडदान करने के बाद, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ वस्त्रों का दान करना चाहिए। यह दान विशेष रूप से धोती, गमछा, बनियान और अन्य कपड़े हो सकते हैं। इन वस्त्रों का दान पितरों को संतुष्ट करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही, यह दान व्यक्ति के लिए एक पुण्य का कार्य होता है जो जीवन में सुख-संपत्ति का कारण बनता है।

7 प्रकार के अनाज का दान:  सोमवती अमावस्या के दिन सात प्रकार के अनाज का दान करना बेहद लाभकारी माना जाता है। इनमें चावल, गेहूं, जौ, काले चने, सफेद तिल, मूंग दाल, मक्का और मसूर दाल शामिल होते हैं। इन अनाजों का दान पितरों के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक श्रेष्ठ तरीका है। चावल को शुभता का प्रतीक माना जाता है, वहीं गेहूं को जीवन का आधार माना जाता है। इन अनाजों का दान करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

पवित्र नदियों में स्नान:  सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी खास महत्व है। माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। विशेष रूप से गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह स्नान शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है, और व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।

पितरों का तर्पण और पिंडदान सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। तर्पण करने से पितृ दोष का नाश होता है और मनुष्य के पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह कार्य विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जिनके जीवन में पितृदोष का प्रभाव है। पिंडदान के माध्यम से व्यक्ति अपने पितरों को तृप्त करता है तथा उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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