फाइबर की कमी से आपके शरीर को भूख नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है। सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज और फलियाँ फाइबर से भरपूर होते हैं, जो बार-बार भूख लगने से बचाते हैं। फाइबर के सेवन से ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रण में रहता है और भूख लगने में देरी हो सकती है। प्रोटीन की कमी का असर: यदि आपकी डाइट में पर्याप्त प्रोटीन नहीं है, तो आप जल्द ही भूखा महसूस कर सकते हैं। प्रोटीन आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। अपनी डाइट में दाल, बीन्स, दही, और पनीर जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें ताकि भूख लगने की समस्या से बचा जा सके। नींद की कमी और भूख: अगर आप सही से नहीं सो रहे हैं, तो आपके भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन, जैसे घ्रेलिन और लेप्टिन, प्रभावित हो सकते हैं। लेप्टिन पेट भरा होने का संकेत देता है, जबकि घ्रेलिन भूख बढ़ाता है। नींद की कमी से घ्रेलिन का स्तर बढ़ता है और लेप्टिन का स्तर घटता है, जिससे आप भोजन के बाद भी भूख महसूस कर सकते हैं। अच्छी नींद इन हार्मोन्स को संतुलित करती है और भूख को नियंत्रित करती है। डिहाइड्रेशन और भूख: पानी की कमी या डिहाइड्रेशन भी भूख बढ़ा सकता है। कभी-कभी, आपके शरीर को प्यास के संकेत भूख के रूप में समझ में आते हैं। जब आप डिहाइड्रेट होते हैं, तो शरीर को भूख के संकेत मिलते हैं और आप खाना खाने लगते हैं। अधिक पानी पीने से भूख कम हो सकती है और डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है। तेजी से खाने के प्रभाव: बहुत तेजी से खाने से आपके शरीर के भूख के संकेत भ्रमित हो सकते हैं। आपके मस्तिष्क को पेट भरने का एहसास होने में लगभग बीस मिनट लगते हैं। तेजी से खाने से आप इन संकेतों को महसूस नहीं कर पाते, जिसके कारण आप अधिक खा लेते हैं और बाद में भूख लगती है। धीरे-धीरे खाने से आपके शरीर को यह बताने का अधिक समय मिलता है कि पेट भर गया है, और आप अधिक भूख से बच सकते हैं। क्या है भाजपा सरकार की 'सुभद्रा' योजना ? पंजीकरण के लिए उमड़ी महिलाओं की भीड़ ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर के ख़राब होने पर निकल रहा लोगों का गुस्सा जाट-दलित वोटों के जरिए मिलेगी सत्ता ? हरियाणा में दिख रहा INLD-BSP गठबंधन का असर