क्या आप भी छोटी-छोटी दिक्कत में खाते हैं दवा तो होजाएं सावधान, स्टडी में हुआ-खुलासा

'द लांसेट' द्वारा प्रकाशित एक व्यापक अध्ययन में वर्ष 2050 तक 40 मिलियन लोगों की मृत्यु एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंट संक्रमण (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस या एएमआर) के कारण होने की आशंका जताई गई है। अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि एएमआर से होने वाली मौतों की संख्या में आने वाले दशकों में भारी वृद्धि होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है।

एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंस की गंभीरता एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंस की समस्या तब पैदा होती है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। इससे संक्रमणों का इलाज करना कठिन हो जाता है। जहां सामान्य संक्रमण पहले आसानी से इलाज योग्य होते थे, अब एंटीबायोटिक्स की प्रभावशीलता कम हो रही है। एएमआर के बढ़ते खतरे ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को चेतावनी दी है कि जल्द ही हम उस दौर में पहुंच सकते हैं, जहां सामान्य संक्रमणों का भी इलाज करना असंभव हो जाएगा।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के निदेशक और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक क्रिस्टोफर जे.एल. मरे ने कहा, "यह एक गंभीर समस्या है, और यह भविष्य में और भी विकराल रूप धारण करेगी।" उन्होंने आगाह किया कि एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंस के कारण साधारण संक्रमण भी घातक बन सकते हैं, क्योंकि वर्तमान दवाएं इन पर प्रभावी नहीं होंगी।

वृद्धों पर एएमआर का प्रभाव अध्ययन में यह भी उजागर किया गया कि एएमआर से होने वाली मौतों का असर विभिन्न आयु वर्गों पर असमान रूप से पड़ रहा है। विशेष रूप से वृद्ध व्यक्तियों पर इसका प्रभाव अधिक देखा गया है। अध्ययन के अनुसार, 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में एएमआर से होने वाली मौतों में 80% से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि बच्चों की मौतों में 50% से अधिक की कमी आई है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि 2050 तक बच्चों में एएमआर से होने वाली मौतों में और कमी आएगी, लेकिन इसी समयावधि में बुजुर्गों में मौतों का आंकड़ा लगभग दोगुना हो सकता है। इसका मुख्य कारण वैश्विक जनसंख्या का वृद्ध होना और संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशीलता है। वृद्ध वयस्क, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, एएमआर से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

वैश्विक स्तर पर प्रभाव अध्ययन के मुताबिक, एएमआर से होने वाली मौतें पूरे विश्व में असमान रूप से वितरित होंगी। दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका जैसी विकासशील और कम संसाधन वाले क्षेत्रों में एएमआर का प्रभाव विशेष रूप से घातक होगा। अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक एएमआर से होने वाली कुल 39 मिलियन मौतों में से 11.8 मिलियन मौतें दक्षिण एशिया में होंगी। इसी प्रकार, उप-सहारा अफ्रीका में भी बड़ी संख्या में मौतों की आशंका है।

प्रमुख कारक: एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग यूसीएलए में क्लिनिकल मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक केविन इकुटा ने एंटीबायोटिक्स के अत्यधिक और गलत उपयोग के प्रति चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि "एंटीबायोटिक्स का जरूरत से ज्यादा और दुरुपयोग बैक्टीरिया को दवाओं के प्रति अधिक रेसिस्टेंट बना रहा है।"

विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीबायोटिक्स का बिना चिकित्सकीय परामर्श के अनियंत्रित उपयोग इस समस्या को और बढ़ा रहा है। कई बार मामूली संक्रमणों में भी एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है, जो दीर्घकालिक रूप से बैक्टीरिया को प्रतिरोधी बना देता है।

संभावित समाधान और प्रयास हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर और प्राइमरी केयर फिजीशियन ईशानी गांगुली ने एंटीबायोटिक्स के उपयोग में सावधानी बरतने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि सामान्य संक्रमणों के लिए एंटीबायोटिक्स का सेवन करने के बजाय घरेलू उपचारों का सहारा लिया जाना चाहिए। "गरारे करना, स्टीम लेना, और अन्य प्राकृतिक उपाय संक्रमणों के शुरुआती लक्षणों में काफी मददगार हो सकते हैं," उन्होंने कहा।

वर्तमान में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक स्तर पर कई नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें एंटीबायोटिक्स के सीमित उपयोग के लिए सख्त नियम लागू करना, जागरूकता बढ़ाना, और शोध एवं विकास में निवेश करना शामिल है। इसके अलावा, विभिन्न देशों की सरकारें एंटीबायोटिक्स के उचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियानों और चिकित्सा निर्देशों को सख्ती से लागू कर रही हैं।

डेटा संग्रह और भविष्यवाणी इस अध्ययन के दौरान 520 मिलियन डेटा पॉइंट्स का उपयोग किया गया, जिसमें अस्पताल डिस्चार्ज रिकॉर्ड, इंश्योरेंस क्लेम्स और 240 देशों के डेथ सर्टिफिकेट्स का विश्लेषण शामिल है। यह विशाल डेटा सेट अध्ययन के निष्कर्षों को मजबूत करता है और एएमआर से जुड़े जोखिमों के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान करता है।

शोधकर्ताओं ने 1990 से 2021 के बीच एएमआर के कारण होने वाली मौतों का भी विश्लेषण किया, जिसमें पता चला कि हर साल एक मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंट संक्रमणों के कारण हुई। यह संख्या आने वाले वर्षों में और बढ़ने का अनुमान है, जिससे एएमआर वैश्विक स्वास्थ्य संकट के रूप में उभर रहा है।

अध्ययन के परिणाम यह स्पष्ट करते हैं कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट है, जिसे तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि समय पर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में संक्रमणों का इलाज करना बेहद कठिन हो जाएगा और लाखों लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी। एंटीबायोटिक्स का विवेकपूर्ण उपयोग और वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयास ही इस संकट का मुकाबला कर सकते हैं।

2050 तक एएमआर से 40 मिलियन मौतों का अनुमान इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करता है, और यह स्पष्ट करता है कि समय रहते कदम उठाने की आवश्यकता है।

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