ओस्लो: कांगो के डॉक्टर डेनिस मुकवेगे को युद्ध के दौरान यौन उत्पीड़न को समाप्त करने की दिशा में उठाए गए कदम के लिए नोबेल पुरस्कार मिलने जा रहा है। वहीं उनका मानना है कि लैंगिक समानता स्थापित करने के प्रयास शांतिकाल में जरूर होने चाहिए। मुकवेगे ने मीटू जैसे आंदोलनों की प्रशंसा की है। वहीं बता दें कि युद्ध के दौरान बलात्कार पीड़िताओं का इलाज करने में योगदान के लिए मुकवेगे को सोमवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को साझा रूप से देने की घोषणा की गई है। सबकुछ राख होने पर भी कुत्ते करता रहा घर की रखवाली यहां बता दें कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में युद्ध का दंश झेलने वाले पूर्वी हिस्से में मुकवेगे ने 1999 में पंजी अस्पताल स्थापित किया था, जहां उन्होंने हजारों महिलाओं और लड़कियों तथा छोटी बच्चियों का इलाज किया। उनका कहना है कि इन घटनाओं के कुछ ही आरोपियों को कानून के कठघरे में खड़ा किया गया। वहीं मुकवेगे ने कहा कि अगर कोई बुराई के खिलाफ नहीं लड़ता है तो यह कैंसर की तरह और बढ़ती है तथा पूरे समाज को तबाह कर देती है। अब एयर होस्टेस ने भी उठाई आवाज़, कहा विमान में हमारे साथ किया जाता है ये काम उन्होंने कहा कि युद्ध और संघर्ष के दौरान महिलाएं हिंसा की शिकार होती हैं। यहां तक कि दुनिया में महिलाओं और पुरुषों की बीच बराबरी के मामले में शीर्ष रैंक वाले देश नॉर्वे और फ्रांस को भी इस पर अब भी काम करने की जरूरत है क्योंकि शांतिकाल में ही पुरुष महिलाओं के बारे में नकारात्मक और असम्मानजनक विचार बनाते हैं। खबरें और भी बांग्लादेश चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया कभी नहीं लड़ सकेंगी चुनाव हॉकी विश्व कप: पाकिस्ताान को कड़ी चुनौती देगा नीदरलैंड हॉकी विश्व कप: दक्षिण अफ्रीका को बेल्जियम ने 5-1 से हराया