शर्मनाक: जब जान बचाने वाला ही बन जाए जान का दुश्मन तो मौत होती है बेहतर

गवर्नमेंट लाख दावे कर ले कि सब बेहतर है लेकिन हर दिन ऐसे कई केस सामने आ रहे हैं जो लोगों को झकझोर कर रख दे रहा है। ताजा केस सुपौल के त्रिवेणीगंज के बुनियादी केंद्र में बने कोरोना केयर सेंटर का है, जहां शनिवार को वक़्त पर ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से मरीज की जान चली गई। परिजन ने कहा है कि शनिवार को तबीयत खराब होने के उपरांत  मरीज को अनुमंडलीय हॉस्पिटल लाए। यहां बुनयादी केंद्र में बने कोरोना केयर सेंटर में भर्ती कर दिया गया। यहां आने पर उपचार के लिए एक भी डॉक्टर नहीं थे। सिर्फ नर्स थी। कुछ देर के उपरांत जब डॉक्टर पहुंचे तो स्थिति को देखते हुए रेफर कर दिया और मरीज को सीढ़ी पर तड़पता छोड़कर चले गए।

गुहार लगाते रहे लेकिन कोई नहीं सुनने वाला: जंहा इस बात का पता चला है कि मरीज की हालत देख परिजन एंबुलेंस की मांग भी करते रहे लेकिन हॉस्पिटल की लापरवाह व्यवस्था ने एक नहीं मानी। कुछ ही देर में पेशेंट की ऑक्सीजन के अभाव में जान चली गई। तकरीबन चार घंटों तक परिजन एंबुलेंस और ऑक्सीजन के लिए हॉस्पिटल से गुहार लगाते रहे लेकिन कहीं कोई सुनने वाला नहीं था। इधर, प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि जब मरीज को यहां लाया गया था उस समय ऑक्सीजन लेवल 34-35 था जबकि डॉक्टरों का बोला था कि ऑक्सीजन लेवल 65 था। इधर लोगों ने शामिल स्वास्थकर्मी से कहा कि तुरंत ऑक्सीजन लगाई जाए लेकिन लापरवाही की वजह से मरीज ने अपनी जान से हाथ धो दिया।

पुलिस ने कहा- जांच कर की जाएगी कार्रवाई: जंहा यह भी कहा जा रहा है कि  थानाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह और अपर अनुमंडल पदाधिकारी प्रमोद कुमार दल बल के साथ पहुंचे। वे इस बीच केस को शांत करने में जुट गए। उन्होंने कहा कि जांच कर जांच की जाएगी। इधर, ऑक्सीजन और एंबुलेंस के अभाव में इस कोरोना मरीज की हुई मौत ने सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के दावों की पोल खोल दी है।

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