वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर की दिशा, उसकी जगह, किस धातु से बना है मंदिर आदि.. और भी कुछ नियम होते हैं. तो आइये जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिये आपका पूजा घर. 1-पूर्व, उत्तर और पूर्वोत्तर कि दिशा सबसे अच्छी होती है पूजा घर बनाने के लिये. अगर आपका घर तीन तल्ले का है तो अच्छा होगा कि आप अपना पूजा घर नीचे वाले फ्लोर पर ही बनवाएं. 2-पूजा घर के सामने, बगल, ऊपर या नीचे टॉयलेट और किचन नहीं होना चाहिये. अगर घर में जगह कि कमी है और पूजा घर बेडरूम में है तो ध्यान रखें कि कभी भी आप अपना पैर मंदिर कि ओर कर के न सोएं. 3-पूजा घर के लिए प्राय: हल्के पीले रंग को शुभ माना जाता है, अतः दीवारों पर हल्का पीला रंग किया जा सकता है. 4-वास्तु के अनुसार तिकोने आकार का पूजा घर बहुत अच्छा माना जाता है. पूजा घर की छत भी तिकोनी होनी चाहिये जिससे पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे. 5-भगवान कि मूर्ती को रखते वक्त ध्यान रखें कि उन सब कि मूर्तियां एक-एक इंच कि दूरी पर रखी गई हो. मूर्तियों को एक दूसरे के सामने नहीं रखना चाहिये. मूर्तियों को पूर्व, पश्चिम और उत्तर पूर्व में रखें और उत्तर दिशा में न रखें. 5-पूजा घर को सजाने के लिये तांबे के ही बर्तन का इस्तमाल करें. दिया हमेशा भगवान की मूर्ती के सामने ही जलना चाहिये. 6-अपने पूजा घर को हमेशा साफ-सुथरा बनाए रखना चाहिये. साथ ही इसमें कभी सोना नहीं चाहिये . फर्नीचर भी बन सकता है वास्तु दोष का कारण पुखराज के दान से दूर होता है गुरु दोष शुक्र दोष खत्म करने के लिए करे माँ लक्ष्मी की पूजा