नई दिल्ली। अमेरिका में वीजा नियमों में बदलाव को लेकर रिपब्लिकन सीनेटर ओरियन हेच द्वारा कहा गया है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एच वन बी पाॅलिसी को सपोर्ट करेंगे। वे इसे कमजोर नहीं करेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हाउस आॅफ रिप्रेजेंटेटिव में बिल को प्रस्तुत किया गया है। इसके अनुसार एच वन बी वीजाधारक को 60 हजार डाॅलर के स्थान पर 1 लाख 30 हजार डाॅलर का वेतन दिया जाना है। यदि यह बिल पारित हो जाता है तो फिर इन्फोसिस, विप्रो, टीसीएस आदि कंपनियों में कार्य कर रहे आईटी प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर खतरा बन सकता है। मिली जानकारी के अनुसार भारतीय आईटी इंडस्ट्री में अमेरिका को 62 प्रतिशत एक्सपोर्ट किया गया है। यह दूसरे नंबर पर योरपीय यूनियन का बाजार है। इसके लिए करीब 28 प्रतिशत का एक्सपोर्ट किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप के साथ इस मामले में बैठक की गई साथ ही एच वन बी वीजा के लाभ की जानकारी मिली। मिली जानकारी के अनुसार कैलिफोर्निया की सांसद जो लाॅफग्रेन ने द हाई स्किल्ड इंटीग्रिटी एंड फेयरनेस एक्ट 2017 का बिल प्रस्तुत किया था। दरअसल यूएस हाउस आॅफ रिप्रेजेंटेटिव में प्रस्तुत किए गए बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि एच 1 बी वीजा धारक को कम से कम 1.30 लाख डाॅलर का वेतन तो देना होगा। यह वेतन उसे न्यूनतम वेतन 60 हजार डाॅलर से बढ़ाकर देना होगा। गौरतलब है कि इस तरह का वीजा 86 प्रतिशत भारतीयों को कंप्युटर और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में मिलता है। इस वीजा के जारी होने के बाद वेतन देयता की जो स्लेब कंपनिज़ को अपने कर्मचारियों को देनी होगी वह काफी अधिक होगी। हालांकि इस वीज़ा का उपयोग भारतीय कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है। ये भी पढ़े - CIA ने राजीव गांधी की मौत को लेकर जताई थी ये आशंकाऐं ईरान के रक्षा कार्यक्रम को लेकर तनाव पैदा न करे अमेरिका ट्रंप लेते हैं दवा का ऐसा डोज़ जो बनाता है मानसिक बीमार