मंगलवार को संघीय अपील अदालत ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर पर आलोचकों को ब्लॉक करके संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि ट्रंप वैचारिक भेदभाव कर रहे हैं और इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से Instagram में जल्द जुड़ेगा ये ख़ास फीचर्स इस मामले में तीन न्यायाधीशों की समिति ने एक संघीय न्यायाधीश के पिछले साल के उस फैसले पर सहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप, विरोधी नजरिया रखने वाले लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करके वैचारिक भेदभाव कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप एक सरकारी पद पर हैं और वे ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में वे अमेरिकी लोगों को ब्लॉक करके अपनी पोस्ट पढ़ने से रोक नहीं सकते. अमेरिका न्याय विभाग ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है लेकिन यह नहीं कहा है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी या नहीं. न्याय विभाग के प्रवक्ता केली लाको ने कहा, 'हम अदालत के फैसले से निराश हैं और आगे की तैयारी कर रहे हैं. जैसा कि हमने पहले ही तर्क दिया है राष्ट्रपति ट्रम्प का अपने व्यक्तिगत ट्विटर अकाउंट से यूजर्स को ब्लॉक करने का फैसला संविधान और अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन नहीं करता है.' भारत में Oppo K3 और Oppo A9 इस दिन होगा लॉन्च आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ट्रंप ने जिन लोगों को ट्विटर पर ब्लॉक किया है, उनका प्रतिनिधित्व कोलंबिया विश्वविद्यालय में नाइट फर्स्ट अमेंडमेंट इंस्टीट्यूट के निदेशक जमील जाफर कर रहे हैं और जाफर ने ही कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसपर सुनवाई हुई है. जाफर ने कहा है कि सरकारी नीति पर चर्चा करने के लिए सरकारी अधिकारियों के सोशल-मीडिया अकाउंट्स जनता के लिए काफी मायने रखते हैं. इस कारण से Hyundai Kona है भारत की ख़ास कार बड़ी संख्या में ऐप्स बिना परमिशन के आपका डाटा कर रहे चोरी Thomson TV Days Sale हुई शुरू, स्मार्ट टीवी पर मिलेगा बम्पर डिस्काउंट