मंगलवार को हैदराबाद की एक अदालत ने धमाके से जुड़े मामले में सुनवाई करने के बाद अहम फैसला लिया है. कोर्ट ने आतंकी सैयद अब्दुल करीम ऊर्फ टुंडा को वर्ष 1998 के सिलसिलेवार धमाके का षड्यंत्र रचने के आरोपों से बरी कर दिया है. मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष टुंडा के खिलाफ समुचित साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया. लश्कर-ए-तैयबा का संदिग्ध आतंकी टुंडा बम बनाने में माहिर माना जाता है. उस पर देश भर में 40 से ज्यादा बम धमाकों को अंजाम देने का आरोप है. मुंबई हमले का संदिग्ध 77 वर्षीय टुंडा फिलहाल उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की जेल में बंद है. सड़को पर उतरे AAP के चार मंत्री, इन लोगों की सहायता को लेकर किया प्रदर्शन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टुंडा और अन्य के खिलाफ हैदराबाद में वर्ष 1998 में गणपति महोत्सव के दौरान सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश रचने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी. हैदराबाद पुलिस के अनुसार, टुंडा मामले का षड्यंत्रकारी था. उसने कुछ आरोपितों को बम बनाने का प्रशिक्षण दिया था. लश्कर-ए-तैयबा के हार्डकोर आतंकी टुंडा के खिलाफ आइपीसी की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. उदयपुर के उस होटल का कमरा हुआ सीज, जहाँ ठहरे थे कोरोना के मरीज इसके अलावा पुलिस ने बताया कि इस मामले में कुल 28 आरोपित थे. इनमें से कुछ को गिरफ्तार किया गया और सजा हुई, जबकि बाकी फरार हैं. टुंडा को 16 अगस्त 2013 को भारत-नेपाल सीमा स्थित बनबासा से केंद्रीय एजेंसी ने गिरफ्तार किया था. बाद में हैदराबाद पुलिस ने उसे हिरासत में लिया था. वह 26/11 के मुंबई हमले में संलिप्त उन आतंकियों में शामिल माना जाता है, जिन्हें सौंपने की मांग भारत ने पाकिस्तान से की थी. कमलनाथ सरकार पर लटकी तलवार, कांग्रेस बोली- 8 विधायकों को जबरन हरियाणा ले गई भाजपा क्लीनिक की आड़ में चल रहा था देह व्यापार, जानिए कैसे हुआ भंडाफोड़ कोरोना वायरस से बचने के लिए भाजपा नेता ने बताया अनोखा तरीका