वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फैसला लिया है कि उनके लगभग 12 हज़ार सैनिकों को जर्मनी से वापस बुलाया जाएगा. इनमें से 6400 सैनिकों को अमेरिका में रखा जाएगा, जबकि 6400 सानिकों को दूसरे नाटो देश जैसे कि इटली और बेल्जियम में पहुंचाया जाएगा. ट्रंप का कहना है कि अमेरिका ने ये कदम जर्मनी के नाटो सैन्य बजट के लिए तय खर्च न करने के कारण उठाया है. बता दें कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वाशिंगटन में की गई थी. नाटो देशों का लगभग 70 फीसद खर्च अमेरिका उठाता है. नाटो देशों ने 2024 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का दो फीसदी रक्षा पर व्यय करने का संकल्प लिया है और जर्मनी इस टारगेट से अब भी पीछे है. पिछले महीने राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि जर्मनी खर्च में सहयोग नहीं कर रहा है. सैन्य बल में कटौती का निर्णय लेने के बाद व्हाइट हाउस में ट्रंप ने कहा ‘हम सैनिकों की तादाद कम कर रहे हैं क्योंकि जर्मनी अपने बिल नहीं चुका रहा है. यह बेहद सीधी-सी बात है. उन पर बहुत बकाया है.’ अमेरिकी रक्षा नेताओं ने पेंटागन की एक योजना के बारे में जानकारी देते हुए बुधवार को ये बातें बताई है. उन्होंने कहा कि इस योजना पर अरबों डॉलर का खर्च आएगा और इसे पूरा होने में कई वर्षों का समय लगेगा. ये फैसला ट्रंप की जर्मनी से सैनिकों को वापस बुलाने की इच्छा के मद्देनज़र लिया गया है. बड़ी तादाद में सैनिक इटली भेजे जाएंगे और कुछ जर्मनी से बेल्जियम में अमेरिकी यूरोपीय कमान हेडक्वार्टर और विशेष अभियान कमान यूरोप जाएंगे. अमेरिका में पढ़ाई जाएंगे महात्मा गांधी के विचार, US कांग्रेस कमिटी में प्रस्ताव पारित PAK कोर्ट में ईशनिंदा के आरोपी अमेरिकी नागरिक को गोलियों से भूना, US भड़का भारत ने नेपाल के नागरिकों की अवैध आवाजाही पर की बड़ी कार्यवाही